
नई दिल्ली स्थित इलेक्ट्रिक इंटरसिटी बस ऑपरेटर लीफीबस (LeafyBus) ने 4.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹34 करोड़) का निवेश हासिल किया है। यह फंडिंग एनेट्रा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Enetra India Pvt. Ltd.) से मिली है, जिसे सिंगापुर की इम्पैक्ट कैपिटल एशिया मैनेजमेंट (ICAM) का सपोर्ट प्राप्त है। इस निवेश से कंपनी अगले 18 से 24 महीनों में अपनी इलेक्ट्रिक बसों की संख्या 10 से बढ़ाकर 100 से अधिक करने की योजना बना रही है।
कंपनी वर्तमान में देश की पहली 360 kW फास्ट-चार्जिंग स्टेशन आधारित इंटरसिटी इलेक्ट्रिक बस सेवा का संचालन कर रही है। फिलहाल लीफीबस दिल्ली-देहरादून रूट पर रोजाना तीन ट्रिप संचालित कर रही है और 24 घंटे में लगभग 900 किलोमीटर की दूरी तय कर रही है।
नई फंडिंग के बाद लीफीबस आगरा, लखनऊ, चंडीगढ़, अमृतसर और पटना जैसे हाई-डिमांड रूट्स पर अपनी बसें उतारेगी। रूट का चयन यात्री मांग और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता को ध्यान में रखकर किया गया है। कंपनी स्वचालित ट्रिप प्लानिंग, बस आवंटन ऑप्टिमाइजेशन और रीयल-टाइम परफॉर्मेंस मॉनिटरिंग जैसी तकनीकी समाधान में भी निवेश करेगी।
लीफीबस (Leafy Bus) के संस्थापक और सीईओ रोहन देवान ने कहा, “भारत का इंटरसिटी ट्रांसपोर्ट सिस्टम बड़े बदलाव के मुहाने पर है। लंबी दूरी की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी केवल उत्सर्जन कम करने का तरीका नहीं है, बल्कि इसे सुरक्षित, विश्वसनीय और आरामदायक यात्रा अनुभव बनाने की दिशा में उठाया गया कदम कहा जा सकता है।”
कंपनी के सह-संस्थापक अनीमेश शर्मा ने कहा कि इंटरसिटी इलेक्ट्रिक बस सेवाओं का विस्तार चुनौतीपूर्ण है, लेकिन तकनीक और अनुभव के संयोजन से बेड़े की विश्वसनीयता और यात्रियों के भरोसे को मजबूत बनाया जाएगा।
निवेश करने वाले एनेट्रा इंडिया के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक नीरज गुप्ता ने कहा, “भारत के परिवहन क्षेत्र पर पड़ रहे पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी आवश्यक है। लीफीबस इस दिशा में सटीक कदम उठा रहा है और हमारा निवेश उनके प्रयासों को और गति देगा।”
लीफीबस प्रीमियम, पूर्णत: इलेक्ट्रिक और एयर-कंडीशंड बसें संचालित करता है, जिनमें सुरक्षा के लिए हेल्पलाइन, पैनिक बटन, महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें, ADAS, DMS और अल्कोहल डिटेक्शन सिस्टम जैसी आधुनिक सुविधाएं शामिल हैं। कंपनी ने जेपीएम इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (JBM Electric Vehicles) से 200 बसों की आपूर्ति का समझौता किया है और अपने पहले बेड़े के लिए एएमयू से वित्तपोषण भी सुनिश्चित किया है।