
3M इंडिया के R&D हेड मनीष शंकर ने ईवी की अंदरूनी तकनीकों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने बताया कि कैसे एडहेसिव मटेरियल्स यानी चिपकने वाली तकनी इलेक्ट्रिक वाहनों को हल्का, मजबूत और सुरक्षित बनाने में बड़ी भूमिका निभा रही हैं।
3M, जो ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में अपने 100 साल पूरे कर चुकी है, दुनियाभर में 130,000 से अधिक पेटेंट, 35 देशों में लैब्स, और 69 देशों में बिक्री नेटवर्क के साथ EV सेक्टर में लगातार नवाचार कर रही है। मनोज शंकर ने बताया कि कैसे 3M की मटेरियल साइंस और बॉन्डिंग सॉल्यूशन्स ईवी बैटरी के अलग-अलग हिस्सों को एक साथ जोड़ने और डिजाइन को बेहतर बनाने में मदद कर रही हैं।
बैटरी डिज़ाइन में हो रहा है बड़ा बदलाव
ईवी बैटरियों के डिज़ाइन में अब बड़े बदलाव आ रहे हैं। अब मेटल की जगह हल्के प्लास्टिक और इंजीनियर्ड मटेरियल्स का उपयोग बढ़ रहा है। इससे गाड़ी का कुल वजन कम होता है, जिससे बैटरी की एफिशिएंसी बढ़ती है। इस बदलाव के चलते, परंपरागत नट-बोल्ट या वेल्डिंग की जगह अब एडहेसिव (चिपकाने वाले समाधान) उपयोग किए जा रहे हैं।
3M की एडहेसिव टेक्नोलॉजी: गुप्त हीरो
3M के पास 20,000 से ज्यादा एडहेसिव प्रोडक्ट्स हैं, जो अलग-अलग ईवी जरूरतों के हिसाब से डिज़ाइन किए गए हैं:
थिन बॉन्डिंग टेप्स: बैटरी सेल्स को आपस में जोड़ने में काम आते हैं।
सेमी-स्ट्रक्चरल एडहेसिव्स: बैटरी कवर और सीलिंग के लिए उपयोगी।
स्ट्रक्चरल एडहेसिव्स: भारी हिस्सों को जोड़ने के लिए, जैसे बैटरी का फ्रेम और बॉडी।
इन एडहेसिव्स से न सिर्फ गाड़ियों को हल्का बनाया जा सकता है, बल्कि इनकी मजबूती भी बनी रहती है।
डिज़ाइन से लेकर प्रोडक्शन तक 3M का साथ
3M न केवल एडहेसिव बनाता है, बल्कि ईवी कंपनियों को डिज़ाइन से लेकर मैन्युफैक्चरिंग और टेस्टिंग तक में सहयोग देता है। कंपनी के पास सॉफ्टवेयर-आधारित मैटेरियल डेटा कार्ड्स हैं, जिनसे डिज़ाइन को कंप्यूटर पर ही टेस्ट किया जा सकता है—जिससे समय और लागत दोनों की बचत होती है।
निष्कर्ष
मनीष शंकर ने बताया कि आने वाले समय में EV की सफलता सिर्फ बैटरी केमिस्ट्री पर नहीं, बल्कि मटेरियल और डिजाइन सॉल्यूशंस पर भी निर्भर करेगी। 3M की एडहेसिव तकनीक EV इंडस्ट्री को मजबूत, हल्का और टिकाऊ बनाने में अहम भूमिका निभा रही है।