
बैटरी रीसाइक्लिंग कंपनी पीकएम्प ने 12 करोड़ रुपये (लगभग 1.37 मिलियन डॉलर) की सीड फंडिंग जुटाई है। इस निवेश का नेतृत्व Caret Capital ने किया, जबकि इसमें आईआईएम अहमदाबाद वेंचर्स, एंजेल निवेशक बसंत शर्मा और क्लीन टेक्नोलॉजी, माइनिंग तथा रीसाइक्लिंग सेक्टर से जुड़े अन्य निवेशकों ने भी भाग लिया।
वर्ष 2024 में विजय गोंड और आदित्य सुधांशु द्वारा स्थापित पीकएम्प((PeakAmp) लिथियम-आयन बैटरियों के कलेक्शन, सेग्रिगेशन और रीसाइक्लिंग का प्लेटफॉर्म संचालित करती है। कंपनी बैटरियों को सेकंड-लाइफ उपयोग के लिए तैयार करने और लिथियम, निकल व कॉपर जैसे कीमती धातुओं की रिकवरी की सेवाएं देती है। पीकएम्प का दावा है कि उसके मैटेरियल रिकवरी प्रोसेस की दक्षता 99% से अधिक है।
भारत का इलेक्ट्रिक वाहन बाजार 2024 में 35 अरब डॉलर से बढ़कर 2029 तक 111 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। देश में 8 करोड़ से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों की मौजूदगी के चलते बैटरी रीसाइक्लिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की भारी मांग पैदा होगी, जबकि वर्तमान में उपलब्ध क्षमता जरूरत से काफी कम है।
पीकएम्प के सह-संस्थापक विजय गोंड ने कहा, "हमारा विजन भारत का बेंचमार्क बैटरी रीसाइक्लिंग प्लेटफॉर्म बनाना है, जहां हर बैटरी को जिम्मेदारी से कलेक्ट, री-यूज और रीसायकल किया जाए।"
कंपनी ने बैटरी सप्लाई चेन में कलेक्शन, लॉजिस्टिक्स, डिसअसेंबली और मटेरियल रिकवरी के लिए साझेदारियां की हैं। साथ ही यह एंड-ऑफ-लाइफ बैटरियों के लिए रिवर्स-लॉजिस्टिक्स नेटवर्क संचालित करती है और बैटरी की हेल्थ जांचने के लिए डायग्नोस्टिक तकनीक का इस्तेमाल करती है।
कैरेट कैपिटल (Caret Capital) के मैनेजिंग पार्टनर करण मित्तल ने कहा कि पीकएम्प का टेक्नोलॉजी-ड्रिवन मॉडल भारत को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाने में मदद करेगा। यह निवेश कंपनी के विस्तार और देश में बढ़ती बैटरी रीसाइक्लिंग जरूरतों को पूरा करने में सहायक होगा।
कैरेट कैपिटल एक सस्टेनेबिलिटी-केंद्रित वेंचर कैपिटल फंड है, जो भारत में स्मार्ट मोबिलिटी, सप्लाई चेन और रोजगार क्षेत्रों से जुड़ी स्टार्टअप्स में निवेश करता है।