
उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद को बढ़ावा देने और सब्सिडी प्रक्रिया को पारदर्शी एवं आसान बनाने के लिए परिवहन विभाग ने एक बड़ा कदम उठाया है। पहले जहां वाहन स्वामियों को सब्सिडी के लिए डीलर पर निर्भर रहना पड़ता था और मुख्यालय के चक्कर लगाने पड़ते थे, अब उन्हें यह सुविधा सीधे क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (A.R.T.O.) के स्तर पर मिल रही है। इस नई व्यवस्था से सब्सिडी की प्रक्रिया में तेजी आई है और आवेदकों की संख्या में भी इज़ाफा देखा जा रहा है।
क्यों थी अब तक सब्सिडी पाने में परेशानी?
इलेक्ट्रिक वाहन को खरीदने पर सरकार द्वारा मिलने वाली सब्सिडी की प्रक्रिया पहले काफी जटिल थी। डीलरों के माध्यम से ही आवेदन स्वीकार किए जाते थे और कई बार दस्तावेजों में त्रुटि या प्रक्रिया की जानकारी के अभाव में आवेदन रिजेक्ट हो जाते थे। खासकर दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने वाले उपभोक्ताओं के लिए यह प्रक्रिया और भी मुश्किल थी, क्योंकि उन्हें ₹5000 की सब्सिडी के लिए डीलर के पास आना-जाना पड़ता था, जिससे उनका ट्रेवल खर्च सब्सिडी से अधिक हो जाता था।
उदाहरण के तौर पर, ओला जैसी कंपनियों की डीलरशिप केवल कुछ शहरों तक सीमित है, जैसे कि लखनऊ, जबकि उनके ईवी दोपहिया वाहन पूरे प्रदेश में चल रहे हैं। ऐसे में ग्रामीण या दूरदराज क्षेत्रों से आने वाले उपभोक्ताओं के लिए सब्सिडी के लिए आवेदन करना खर्चीला और समय लेने वाला हो जाता था। इसके कारण बहुत से उपभोक्ता सब्सिडी के लिए आवेदन ही नहीं करते थे।
नई व्यवस्था: A.R.T.O. स्तर पर सब्सिडी अप्रूवल
अब उत्तर प्रदेश सरकार ने एआरटीओ स्तर पर सब्सिडी के अप्रूवल की व्यवस्था कर दी है। इसका लाभ लखनऊ जैसे महानगरों में पहले से ही देखा जा रहा है। लखनऊ में अब तक कुल 3029 आवेदन सब्सिडी के लिए आए हैं, जिनमें से 2540 का भुगतान हो चुका है। शेष 155 आवेदनों में से 100 से अधिक ऐसे वाहन हैं जो एग्रीगेटर या फर्म के नाम रजिस्टर्ड हैं, जिन्हें सरकारी नीति के अनुसार सब्सिडी का लाभ नहीं मिलना है। एआरटीओ प्रशासन के अनुसार, पहले एक दिन में अधिकतम 5 लाख रुपये तक की सब्सिडी देने का आदेश था। यह राशि कुछ चारपहिया वाहनों के आवेदन आते ही समाप्त हो जाती थी। लखनऊ जैसे बड़े शहरों में जहां आवेदन की संख्या अधिक है, वहां यह सीमा कम पड़ रही थी। इसे देखते हुए अब एआरटीओ को प्रतिदिन 15 लाख रुपये तक सब्सिडी जारी करने की अनुमति दी गई है। इससे लंबित आवेदनों की संख्या तेजी से घट रही है और लाभार्थियों को समय पर भुगतान मिल रहा है।
अब वाहन स्वामी खुद कर सकते हैं आवेदन
परिवहन विभाग ने पोर्टल https://upevsubsidy.in पर भी बदलाव किए हैं। अब वाहन मालिक स्वयं भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इससे वे डीलर पर निर्भर नहीं रहेंगे और सीधे विभाग से संवाद कर सकेंगे। इससे न सिर्फ प्रक्रिया सरल हुई है, बल्कि पारदर्शिता भी बढ़ी है।
डीलर और वाहन मालिक दोनों ही पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए आधार कार्ड, बैंक खाता संख्या, कैंसिल चेक और एक पासपोर्ट साइज फोटो की आवश्यकता होती है। साथ ही यह सुनिश्चित किया गया है कि व्यक्तिगत उपयोग के लिए एक व्यक्ति को सिर्फ एक वाहन पर ही सब्सिडी दी जाएगी। अगर कोई व्यक्ति गलत जानकारी देकर आवेदन करता है तो न केवल उसकी सब्सिडी रिजेक्ट कर दी जाएगी, बल्कि उस पर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।
पोर्टल में सुधार से आवेदकों को राहत
पहले की व्यवस्था में सब्सिडी से जुड़ी जानकारी के लिए लोगों को लखनऊ स्थित परिवहन विभाग मुख्यालय के चक्कर लगाने पड़ते थे। लेकिन अब पोर्टल में तकनीकी सुधार किए गए हैं, जिससे आवेदन करने, दस्तावेज अपलोड करने और स्टेटस ट्रैक करने की प्रक्रिया अत्यंत सरल हो गई है। इससे खासकर दोपहिया ईवी के खरीदारों को बड़ी राहत मिली है।
भविष्य की दिशा
उत्तर प्रदेश सरकार की यह पहल न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देगी, बल्कि प्रदेश में ई-मोबिलिटी को भी मजबूती प्रदान करेगी। सब्सिडी प्रणाली में पारदर्शिता और सरलता लाने से लोगों में विश्वास बढ़ेगा और ज्यादा से ज्यादा उपभोक्ता इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर आकर्षित होंगे।
सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी न केवल उपभोक्ता के खर्च को कम करती है, बल्कि पर्यावरण हित में भी एक सकारात्मक कदम है। जब ज्यादा लोग ईवी अपनाएंगे, तो प्रदूषण में भी कमी आएगी और सरकार का 'ग्रीन इंडिया' का सपना साकार होगा।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश सरकार और परिवहन विभाग की नई पहल से इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने वालों को अब काफी राहत मिल रही है। एआरटीओ स्तर पर अप्रूवल और वाहन स्वामी को स्वयं आवेदन की सुविधा मिलने से अब ईवी सब्सिडी की प्रक्रिया पहले की तुलना में कहीं अधिक सरल, पारदर्शी और सुलभ हो गई है।