
केंद्र सरकार ने पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत इलेक्ट्रिक ट्रक और बस बनाने वाली कंपनियों को बड़ी राहत दी है। भारी उद्योग मंत्रालय ने फेज्ड मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम (PMP) में बदलाव करते हुए मध्यम भार वाले इलेक्ट्रिक ट्रक (N2 कैटेगरी – 3.5 से 12 टन) और इलेक्ट्रिक बसों के लिए ट्रैक्शन मोटर का घरेलू उत्पादन करने की अनिवार्यता को अगले साल मार्च तक के लिए टाल दिया है।
पहले 1 सितंबर 2025 से इन वाहनों के लिए ट्रैक्शन मोटर का पूरी तरह से भारत में निर्माण करना अनिवार्य था। नई अधिसूचना के अनुसार अब N2 कैटेगरी ट्रकों के लिए यह नियम 1 मार्च 2026 और इलेक्ट्रिक बसों के लिए 3 मार्च 2026 से लागू होगा। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब चीन ने मैग्नेट्स का निर्यात रोक दिया है, जिससे मोटर निर्माण में कंपनियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था।
पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत ई-ट्रक के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। 3.5 टन से 55 टन तक के इलेक्ट्रिक ट्रक पर 5,000 रुपये प्रति kWh बैटरी क्षमता या वाहन की फैक्ट्री कीमत का 10% तक की सब्सिडी मिलेगी। N2 कैटेगरी ट्रक पर अधिकतम ₹2.7 लाख और 7.5–12 टन के ट्रक पर 3.6 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी। सब्सिडी तभी मिलेगी जब पुराना वाहन स्क्रैप कर नया ई-ट्रक खरीदा जाए।
ई-बसों के लिए योजना में सबसे ज्यादा ₹4,391 करोड़ का प्रावधान किया गया है। अधिकतम ₹2 करोड़ कीमत वाली बसों पर ₹10,000 प्रति kWh सब्सिडी मिलेगी। 10–12 मीटर लंबी बस के लिए अधिकतम सब्सिडी ₹35 लाख, 8–10 मीटर की बस पर ₹25 लाख और 6–8 मीटर की बस पर ₹20 लाख निर्धारित की गई है। सरकार अब घरेलू मैग्नेट उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी प्रोत्साहन देने की योजना बना रही है, ताकि चीनी आयात पर निर्भरता कम की जा सके।