
बोसोन सेल ने भारत में लिथियम-आयन बैटरी का कमर्शियल उत्पादन शुरू कर दिया है। कंपनी ने 4 जून 2025 को घोषणा की कि उसके दो मॉडल — 18350 B-30A और 21700 B-50A — अब पूरे देश में उपलब्ध होंगे। इनका उपयोग ड्रोन्स, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों में किया जा सकता है।
बोसोन सेल (Boson Cell) का कहना है कि वह भारत का पहला घरेलू लिथियम सेल निर्माता है, जो विदेशी तकनीक पर निर्भरता को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। कंपनी के अनुसार, उसके सेल्स 1,000 रिचार्ज साइकल तक टिकाऊ हैं, जो आमतौर पर चीनी विकल्पों की तुलना में लगभग तीन गुना ज्यादा है।
भारत का लिथियम-आयन बैटरी बाजार 2030 तक $9.56 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें FAME II स्कीम, PLI योजना और ड्रोन शक्ति पहल जैसी सरकारी योजनाओं की बड़ी भूमिका है। ये पहलें घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से बनाई गई हैं।
बोसोन सेल के सीईओ गुरु पुघावन ने कहा, “हम केवल आयात का विकल्प नहीं बना रहे, बल्कि ऐसे ऊर्जा समाधान तैयार कर रहे हैं जो हर भारतीय परिवार, उद्योग और इनोवेशन को सशक्त बनाएंगे।”
कंपनी तीन श्रेणियों में सेल्स बनाती है—इकोनॉमी, एडवांस्ड और एक्स्ट्रीम। ड्रोन्स के लिए हल्की और दमदार बैटरियों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए ये सेल्स बहुउपयोगी हैं और विभिन्न उपकरणों में फिट हो सकते हैं।
बोसोन सेल (Boson Cell) की निर्माण प्रक्रिया सस्टेनेबल विकास पर आधारित है और इसमें मल्टी-स्टेज टेस्टिंग प्रोटोकॉल अपनाए जाते हैं। कंपनी कम से कम ऑर्डर मात्रा में भी सेल्स उपलब्ध कराती है और विदेशी उत्पादों की तुलना में तेज डिलीवरी देती है।
डिस्ट्रीब्यूशन के लिए कंपनी ने इलेक्ट्रॉनिक्स रिटेलर्स, सुपरमार्केट्स और लोकल स्टोर्स के साथ-साथ Amazon, Flipkart और अपनी वेबसाइट पर ऑनलाइन उपलब्धता सुनिश्चित की है। वर्ष 2025 के अंत तक पूरे भारत में रिटेल विस्तार की योजना है।
कंपनी का लक्ष्य 2030 तक भारत के घरेलू बैटरी सेल बाजार का 10% हिस्सा हासिल करना है। इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने और एनर्जी स्टोरेज तकनीक में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए बोसोन सेल (Boson Cell) अनुसंधान एवं विकास में निरंतर निवेश कर रही है।
इन बैटरियों में हाई एनर्जी डेंसिटी और डिस्चार्ज करंट की क्षमता है, जिससे इन्हें सौर ऊर्जा प्रणालियों और पावर टूल्स जैसे अनुप्रयोगों में भी उपयोग किया जा सकता है। Boson Cell की यह पहल भारत के ऊर्जा आत्मनिर्भरता और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में एक अहम योगदान है।