
इलेक्ट्रिक वाहन (EV) चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाता थंडरप्लस ने साउथ सेंट्रल रेलवे के सहयोग से हैदराबाद के नेकलेस रोड पर अपना दूसरा फ्रेंचाइज़ी-आधारित अल्ट्रा-फास्ट ईवी चार्जिंग स्टेशन शुरू किया है। यह पहल शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में अपने ईवी नेटवर्क को विस्तार देने की कंपनी की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।
थंडरप्लस फिलहाल भारत में 200 से अधिक चार्जिंग हब का संचालन कर रही है, जो प्रतिदिन 10 मेगावॉट-घंटा से अधिक ऊर्जा की सप्लाई करती है और 4,000 से अधिक ईवी वाहनों को चार्ज करती है। इससे रोजाना अनुमानित 35 मीट्रिक टन CO₂ उत्सर्जन में कमी हो रही है।
नई फैसिलिटी का उद्घाटन थंडरप्लस के सीईओ राजीव वायएसआर ने किया, जिसमें भारतीय स्टेट बैंक के प्रतिनिधि एस. मधन और संतोश, साथ ही कंपनी के दूसरे टाइटेनियम फ्रेंचाइज़ी पार्टनर अरविंद कोम्पेली भी उपस्थित थे।
अरविंद कोम्पेली ने कहा, "थंडरप्लस के अशोर्ड बिजनेस गारंटी प्रोग्राम ने हमें इस उभरते हुए ईवी सेक्टर में निवेश करने का भरोसा और आत्मविश्वास दिया। उनकी तकनीकी सहायता और राजस्व सुनिश्चित करने की व्यवस्था ने यह यात्रा आसान बना दी है।"
रेल मंत्रालय के सेक्रंदराबाद डिवीजन के वाणिज्य प्रबंधक विशाल अर्जुन ने कहा कि हाइटेक सिटी MMTS स्टेशन पर पहले हुए सफल प्रयोग ने इस साझेदारी को आगे बढ़ाया। “पिछले स्टेशन पर प्रतिदिन पांच घंटे से अधिक उपयोग हुआ, जिससे हमें उनकी तकनीकी और व्यावसायिक क्षमताओं पर विश्वास हुआ। अब हम हैदराबाद के अन्य रेलवे परिसरों में इसी मॉडल को दोहराने जा रहे हैं।”
यह नई चार्जिंग सुविधा 120 किलोवॉट की अल्ट्रा-फास्ट चार्जिंग बे से लैस है, जिसे मांग के अनुसार 480 किलोवॉट तक बढ़ाया जा सकता है। यह स्टेशन डायनामिक लोड-शेयरिंग तकनीक, 24x7 डिजिटल मॉनिटरिंग, और बंजारा हिल्स, जुबली हिल्स और सिकंदराबाद क्षेत्रों की सेवा के लिए तैयार किया गया है।
थंडरप्लस ने उद्यमियों को अपने फ्रेंचाइज़ी मॉडल से जुड़ने का भी आमंत्रण दिया है। ₹20 लाख से शुरू होने वाले निवेश पर यह मॉडल तकनीकी सेटअप, संचालन और अनुरक्षण समर्थन, और सुनियोजित राजस्व गारंटी प्रदान करता है।भविष्य की योजनाओं में थंडरप्लस अपने चार्जिंग स्टेशनों को पारंपरिक बिजली स्रोतों से हटाकर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर लाने की दिशा में कार्य कर रही है। इसके लिए कंपनी सौर ऊर्जा के लिए पावर परचेज एग्रीमेंट्स (PPAs) की दिशा में पहल कर रही है, ताकि पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सके और स्थायित्व को बढ़ावा दिया जा सके।