
सरकार इस साल के अंत तक इलेक्ट्रिक एंबुलेंस के लिए मांग प्रोत्साहन (डिमांड इंसेंटिव) से जुड़े दिशानिर्देश जारी करने की योजना बना रही है। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अनुसार, अगले साल की शुरुआत से इन वाहनों को सब्सिडी मिलने की संभावना है।
प्रधानमंत्री ई-ड्राइव योजना के तहत इलेक्ट्रिक एंबुलेंस को शामिल किया गया है। इसके लिए सरकार ने 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया है ताकि इस सेगमेंट में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को बढ़ावा मिल सके। हालांकि, सब्सिडी की राशि और दिशानिर्देश अब तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
भारी उद्योग मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव हनीफ कुरैशी ने बताया, “एक इलेक्ट्रिक एंबुलेंस को पिछले महीने होमोलोगेट किया गया है और अन्य वाहन निर्माता कंपनियां इस दिशा में काम कर रही हैं। हमें उम्मीद है कि दिसंबर या जनवरी तक इलेक्ट्रिक एंबुलेंस बाजार में उपलब्ध होंगी।”
उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक एंबुलेंस के लिए सुरक्षा और मरीज देखभाल मानकों को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय और सड़क परिवहन मंत्रालय से विचार-विमर्श किया गया है। ये दिशानिर्देश तैयार किए जा रहे हैं और वाहन लॉन्च के समय तक इन्हें जारी कर दिया जाएगा।
पीएम ई-ड्राइव योजना ने फेम (FAME) और अस्थायी इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम (EMPS) की जगह ली है। यह योजना 1 अक्टूबर 2024 से लागू हुई और 31 मार्च 2026 तक चलेगी।
इस योजना के तहत कुल ₹10,900 करोड़ में से ₹3,679 करोड़ टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर, ट्रक और एंबुलेंस के लिए डिमांड इंसेंटिव में आवंटित किए गए हैं। वहीं ₹7,171 करोड़ इलेक्ट्रिक बसों को बढ़ावा देने, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और टेस्टिंग सिस्टम को अपग्रेड करने में खर्च होंगे।
फोर्स मोटर्स, टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा एंबुलेंस निर्माण में प्रमुख ओईएम हैं। अब तक केवल फोर्स मोटर्स की एक इलेक्ट्रिक एंबुलेंस को होमोलोगेशन मिल चुका है, लेकिन इसका वाणिज्यिक उत्पादन अभी शुरू नहीं हुआ है।