
केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री ई-ड्राइव स्कीम के तहत इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए दिशा-निर्देश और सब्सिडी की घोषणा की है। इस योजना के तहत वित्त वर्ष 2026 तक 5,643 इलेक्ट्रिक ट्रकों को सब्सिडी देने के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। यह योजना 1 अक्टूबर 2024 से शुरू हुई है और 31 मार्च 2026 तक लागू रहेगी, जब तक इसे आगे न बढ़ाया जाए।
नई गाइडलाइंस के अनुसार, सब्सिडी उन इलेक्ट्रिक ट्रकों पर मिलेगी जिनका ग्रॉस व्हीकल वेट (GVW) 3.5 टन से 55 टन के बीच है। ट्रकों को ₹5,000 प्रति kWh बैटरी क्षमता या वाहन की एक्स-फैक्ट्री कीमत का 10%, जो भी कम हो, की दर से सब्सिडी दी जाएगी। N2 श्रेणी (3.5 से 12 टन) के ट्रकों को ₹2.7 लाख से ₹3.6 लाख तक की सब्सिडी मिलेगी, जबकि N3 श्रेणी (12 से 55 टन) के ट्रकों के लिए यह सीमा ₹7.8 लाख से ₹9.6 लाख तक होगी।
हालांकि, इस योजना का लाभ उठाने के लिए उपभोक्ताओं को पुराने डीजल ट्रकों को स्क्रैप करना होगा और उसके बदले सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (CD) जमा करना अनिवार्य है। इसके अलावा, वाहन की बैटरी पर 5 साल या 5 लाख किमी, मोटर और वाहन पर 5 साल या 2.5 लाख किमी की वारंटी अनिवार्य होगी। यह शर्तें सुनिश्चित करेंगी कि खरीदारों को टिकाऊ और भरोसेमंद वाहन मिलें।
पीएम ई-ड्राइव योजना में दोपहिया, तिपहिया, बसों और एंबुलेंस के लिए भी सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए दिए जा रहे प्रोत्साहन को अप्रैल 2025 में आधा कर दिया गया है, जिससे संकेत मिलता है कि सरकार धीरे-धीरे आत्मनिर्भर हो चुके सेगमेंट्स में सब्सिडी कम कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि भविष्य में केवल उन्हीं श्रेणियों को प्रोत्साहन मिलेगा, जिनमें ईवी की पैठ 10% से कम है।
सरकार की यह योजना सिर्फ इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा नहीं देती, बल्कि पुरानी और प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों को हटाकर सड़क सुरक्षा और पर्यावरण की रक्षा भी सुनिश्चित करती है। स्क्रैपिंग नीति के तहत प्रमाण पत्र पर रजिस्ट्रेशन शुल्क में छूट, रोड टैक्स में रियायत और वाहन निर्माताओं से अतिरिक्त छूट मिल रही है। यह नीति नए वाहन की बिक्री को भी प्रोत्साहित कर रही है, जिससे ऑटोमोबाइल उद्योग को भी मजबूती मिल रही है।