
भारतीय भारी उद्योग मंत्रालय ने प्रधानमंत्री इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (PM E-DRIVE) योजना को दो साल के लिए बढ़ा दिया है। अब यह योजना 31 मार्च 2028 तक लागू रहेगी। हालांकि, इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों पर दी जा रही सब्सिडी 31 मार्च 2026 को समाप्त हो जाएगी।
यह ₹10,900 करोड़ की योजना 1 अक्टूबर 2024 को शुरू की गई थी और पहले इसे मार्च 2026 तक लागू करने की योजना थी। इस योजना का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर डिमांड-साइड इंसेंटिव देना, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, टेस्टिंग सुविधाओं और ईवी टेक्नोलॉजी के स्थानीयकरण को बढ़ावा देना है।
योजना के तहत देश के नौ प्रमुख शहरों में (जिनकी आबादी 40 लाख से अधिक है) लगभग 24.8 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया, 3.2 लाख इलेक्ट्रिक तिपहिया और 14,000 से अधिक इलेक्ट्रिक बसों को अपनाने का लक्ष्य है। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक ट्रकों और एम्बुलेंस के लिए ₹500-₹500 करोड़ का बजट तय किया गया है।
जहां दो और तीन पहिया वाहनों पर सब्सिडी मार्च 2026 में खत्म हो जाएगी, वहीं इलेक्ट्रिक बस, ट्रक और एम्बुलेंस पर सब्सिडी मार्च 2028 तक जारी रहेगी—बशर्ते फंड उपलब्ध हो। योजना फंड-लिमिटेड है, यानी यदि तय बजट पहले ही समाप्त हो जाता है तो संबंधित सब-योजनाएं समय से पहले बंद की जा सकती हैं।
इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों के खरीदारों को FY25 में 5,000 रुपये प्रति kWh और FY26 में 2,500 रुपये प्रति kWh की दर से इंसेंटिव मिलेगा, जो वाहन की एक्स-फैक्ट्री कीमत के अधिकतम 15% तक सीमित रहेगा। यह सब्सिडी PM E-DRIVE पोर्टल के माध्यम से आधार प्रमाणित ई-वाउचर के जरिए दी जाएगी।
इस योजना के तहत चार-पहिया वाहनों के लिए 22,000 चार्जिंग स्टेशन और इलेक्ट्रिक बसों के लिए 1,800 चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। साथ ही वाहन परीक्षण (टेस्टिंग) ढांचे को भी उन्नत किया जाएगा।
PM E-DRIVE योजना भारत की हरित परिवहन रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के तहत एक वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी ईवी मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम तैयार करने की दिशा में कार्य कर रही है।