
महाराष्ट्र सरकार ने 1 अप्रैल 2025 से लागू नई इलेक्ट्रिक वाहन (EV) नीति की घोषणा की है, जिसका लक्ष्य राज्य को देश का अग्रणी ईवी हब बनाना है। इस नीति का उद्देश्य 2030 तक राज्य के 30 प्रतिशत वाहनों को इलेक्ट्रिक बनाना है। इसके तहत परिवहन क्षेत्र से 325 टन पीएम 2.5 और 1,000 टन ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती करने का लक्ष्य रखा गया है। यह कदम महाराष्ट्र की "क्लीन मोबिलिटी ट्रांजिशन मॉडल" योजना के तहत उठाया गया है।
नीति के तहत दोपहिया, चारपहिया और बस जैसे वाहनों पर भारी वित्तीय प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। दोपहिया वाहनों के लिए 1 लाख यूनिट, चार पहिया परिवहन वाहनों के लिए 25,000 यूनिट और 1,500 निजी एवं सिटी बसों को सब्सिडी का लक्ष्य रखा गया है। चार पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों को 2 लाख रुपये तक और बसों को 20 लाख रुपये तक की छूट दी जाएगी। साथ ही, ईवी पंजीकृत वाहनों को मोटर वाहन कर से 100% छूट, पंजीकरण नवीनीकरण शुल्क से मुक्ति और मुंबई-पुणे व मुंबई-नासिक एक्सप्रेसवे पर टोल माफी दी जाएगी। अन्य सड़कों पर टोल माफी के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति विचार करेगी।
राज्य सरकार ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश कर रही है। हाईवे पर हर 25 किमी पर चार्जिंग स्टेशन लगाना अनिवार्य किया गया है। नई आवासीय इमारतों में ईवी चार्जर लगाना आवश्यक होगा, जबकि पुरानी व्यावसायिक इमारतों की साझा पार्किंग में 20 प्रतिशत चार्जिंग सुविधा अनिवार्य की गई है। सभी सरकारी कार्यालयों के पार्किंग क्षेत्रों में कम से कम एक चार्जिंग स्टेशन लगाया जाएगा। साथ ही, सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए सरकार 15 प्रतिशत वायबिलिटी गैप फंडिंग प्रदान करेगी।
सरकारी विभागों द्वारा खरीदे जाने वाले सभी नए वाहन अब इलेक्ट्रिक होंगे। खासतौर पर मुंबई, पुणे, नागपुर, नासिक, छत्रपति संभाजीनगर और अमरावती जैसे बड़े शहरों में 50 प्रतिशत यूटिलिटी वाहन ईवी होंगे। सरकार भविष्य की तकनीकों को भी प्रोत्साहित कर रही है, जिसमें बैटरी तकनीक, ग्रीन हाइड्रोजन और ईवी-टू-ग्रिड इंटीग्रेशन शामिल है। इन क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए 15 करोड़ रुपये का आरएंडडी ग्रांट दिया गया है। इसके अलावा, महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (MSBTE) ईवी से संबंधित विशेष कोर्स शुरू करेगा, और स्वचालित टेस्टिंग स्टेशन के ज़रिए ईवी की सुरक्षा और बैटरी मानकों की जांच सुनिश्चित की जाएगी।