
मारुति सुज़ुकी इंडिया लिमिटेड ने इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के लिए आवश्यक हाई वोल्टेज सिस्टम पर एक व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम की घोषणा की है, जिसे देशभर के 130 इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स (ITIs) में शुरू किया जाएगा। यह कार्यक्रम 24 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में संचालित होगा। कंपनी ने इस कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) पहल के तहत लगभग ₹3.9 करोड़ का निवेश किया है।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले बैच से 4,100 से अधिक प्रशिक्षित छात्र सितंबर 2025 से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में शामिल होंगे। यह पहल भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को अपनाने के बढ़ते रुझान को देखते हुए कुशल तकनीशियनों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए की गई है।
मारुति सुज़ुकी के कॉर्पोरेट अफेयर्स के सीनियर एग्जीक्यूटिव ऑफिसर राहुल भारती ने बताया कि इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर ग्राहकों का सबसे बड़ा संकोच आफ्टर-सेल्स सपोर्ट को लेकर है। इसी को ध्यान में रखते हुए कंपनी अपने EV सर्विस नेटवर्क को 100 शहरों से बढ़ाकर 1,000 शहरों और 1,500 से अधिक वर्कशॉप्स तक विस्तार देने की योजना बना रही है।
प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों की मूल बातें, हाई वोल्टेज सिस्टम के साथ सुरक्षित तरीके से काम करने की विधि, विशेष उपकरणों का उपयोग और सिस्टम मेंटेनेंस जैसी जानकारियाँ शामिल हैं। यह कार्यक्रम दूसरे वर्ष के ITI छात्रों को लक्षित करता है और इसके तहत फैकल्टी डेवलपमेंट के लिए "ट्रेन द ट्रेनर" मॉड्यूल भी शामिल है। साथ ही, मारुति सुज़ुकी इन संस्थानों को प्रशिक्षण उपकरण और टूल्स भी उपलब्ध करवा रही है।
भारत सरकार की कार्बन न्यूट्रलिटी की दिशा में तेजी से बढ़ती पहल और नीतियों जैसे नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान व प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के तहत, EV अपनाने की गति तेज़ हो रही है, लेकिन ऑटोमोबाइल सेक्टर में तकनीकी दक्षता की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
इस कार्यक्रम से प्रशिक्षित तकनीशियन केवल मारुति सुज़ुकी ही नहीं, बल्कि किसी भी ऑटोमोबाइल कंपनी के सर्विस नेटवर्क में काम कर सकेंगे। यह प्रशिक्षण बैटरी इलेक्ट्रिक और स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड दोनों तरह के वाहनों की आवश्यकताओं को पूरा करता है, जिनमें हाई वोल्टेज सिस्टम की समानता है।
यह पहल न केवल इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र के विकास को बल देगी, बल्कि छोटे शहरों और कस्बों में तकनीकी कार्यबल की कमी को भी दूर करेगी, जहां अब भी आफ्टर-सेल्स सर्विस की उपलब्धता सीमित है। यह भारत में उभरती तकनीकों में कौशल विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।