उच्च शिक्षा में महिला नामांकन अनुपात 20 वर्षों में चार गुना बढ़ा: रिपोर्ट

उच्च शिक्षा में महिला नामांकन अनुपात 20 वर्षों में चार गुना बढ़ा: रिपोर्ट

उच्च शिक्षा में महिला नामांकन अनुपात 20 वर्षों में चार गुना बढ़ा: रिपोर्ट
'द इंडियन इकोनॉमीः ए रिव्यू' रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च शिक्षा में लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या पहले से ज्यादा हुई हैं। वर्ष 2020 में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 27.9 प्रतिशत है जबकि वित्त वर्ष 2010 में यह 12.7 प्रतिशत था।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को अंतरिम बजट (बजट 2024) घोषित करने वाली हैं। इससे पहले केंद्र सरकार ने 29 जनवरी को 'द इंडियन इकोनॉमीः ए रिव्यू' शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें पिछले कुछ वर्षों में देश के स्कूल और कॉलेजों में जाने वाली महिलाओं के बढ़े अनुपात की ओर इशारा किया गया।

रिपोर्ट के अनुसार, उच्च शिक्षा में महिला सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) वित्त वर्ष 2000-01 में 6.7 प्रतिशत से बढ़कर 2020-21 में 27.9 प्रतिशत हो गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में लड़कों की तुलना में उच्च शिक्षा लेने वाली लड़कियों की संख्या ज्यादा है। लड़कियों के लिए सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) वर्ष 2020 में 27.9 प्रतिशत है, जबकि वित्त वर्ष 2010 में यह 12.7 प्रतिशत था। 2014 में उच्च शिक्षा में कुल नामांकन 3.4 करोड़ था। वर्ष 2023 में यह संख्या बढ़कर 4.1 करोड़ छात्र हो गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा में महिला (जीईआर) वित्तीय वर्ष 2004-05 में 24.5 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2021-2022 में 58.2 प्रतिशत हो गई है। बता दें कि चुनावी साल होने के कारण केंद्र इस साल आर्थिक सर्वेक्षण पेश नहीं करने जा रहा है। इसके बजाय, इसने भारतीय अर्थव्यवस्था-एक समीक्षा जारी की है, जिसे मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन के कार्यालय ने तैयार किया है।

वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के चुने जाने के बाद से शिक्षा की स्थिति पर विचार करते हुए, रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2014 में विश्वविद्यालयों की संख्या 723 थी और 2023 में यह बढ़कर 1,113 हो गई है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि महिलाएं अब तृतीयक शिक्षा में पहले से कहीं अधिक नामांकन करा रही हैं। व्हीबॉक्स2 द्वारा आयोजित राष्ट्रीय रोजगार परीक्षण पर आधारित सीआईआई-व्हीबॉक्स इंडिया स्किल रिपोर्ट के ग्यारहवें संस्करण से पता चलता है कि भारत की युवा रोजगार क्षमता 51.3 प्रतिशत है, जो एक दशक पहले 33 प्रतिशत थी।

'द इंडियन इकोनॉमीः ए रिव्यू' रिपोर्ट में पिछले दशक में शिक्षा क्षेत्र में हुए सुधारों का एक स्नैपशॉट भी दिया गया है। पेश हैं इसके मुख्य अंश...

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति वर्ष 2020 में पेश की गई- शिक्षा में संरचनात्मक सुधार
  • फाउंडेशनल स्टेज के लिए 20 अक्टूबर 2022 को राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा (एनसीएफ एफएस) लॉन्च की गई। इसके आधार पर 2023 में शिक्षण सामग्री (जादुई पिटारा) और पाठ्य-पुस्तकें लॉन्च की गईं।
  • छात्र मूल्यांकन से संबंधित मानदंडों को निर्धारित करने और गतिविधियों को लागू करने के लिए 2023 में परख (समग्र विकास के लिए प्रदर्शन, मूल्यांकन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण) लॉन्च किया गया था।
  • एनईपी के लिए मॉडल स्कूल के रूप में उभरने के लिए 14,500 पीएम-एसएचआरआई स्कूलों की योजना
  • वर्ष 2026-27 तक मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान के सार्वभौमिक अधिग्रहण के लिए निपुण भारत मिशन
  • स्वयं प्रभा और एमओओसी के माध्यम से डिजिटल शिक्षण का विस्तार - 31 भाषाओं में प्रसारण के लिए 13,000 से अधिक सामग्री वाले 200 चैनल तैयार किए गए।
  • वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक समग्र शिक्षा की उपलब्धियां
  • प्रारंभिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 3,062 स्कूलों का उन्नयन किया गया
  • 235 नए आवासीय विद्यालय एवं छात्रावास खोले गए
  • 97,364 स्कूलों को अतिरिक्त कक्षाओं सहित मजबूत किया गया
  • 1.2 लाख स्कूल आईसीटी और डिजिटल पहल के तहत कवर किए गए
  • 8,619 स्कूल व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत आते हैं
  • 28,447 लड़कियों के लिए अलग शौचालय का निर्माण

निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित होने वाले अंतरिम बजट के पूर्व, 'द इंडियन इकोनॉमी: ए रिव्यू' रिपोर्ट द्वारा देखा गया है कि भारत में महिलाओं का उच्च शिक्षा में प्रवेश में वृद्धि हो रही है। इस रिपोर्ट के अनुसार, उच्च शिक्षा में महिला सकल नामांकन अनुपात 2000-01 में 6.7 प्रतिशत से बढ़कर 2020-21 में 27.9 प्रतिशत हो गया है। इससे साफ होता है कि देश में लड़कियां अब उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अधिक सक्रिय हो रही हैं। रिपोर्ट में दिखाया गया है कि वित्त वर्ष 2010 में महिलाएं उच्च शिक्षा में कुल नामांकन का 12.7 प्रतिशत हिस्सा थीं, जो वर्ष 2020 में 27.9 प्रतिशत तक बढ़ गया है।

इस अधिकारिक आंकड़े से यह साबित होता है कि महिलाएं शिक्षा में अब बड़े अंश में भाग लेती हैं और इसमें सुधार हो रहा है। वित्त वर्ष 2004-05 में वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा में महिलाओं का अंतरिम बजट (बजट 2024) में 24.5 प्रतिशत से बढ़कर 2021-2022 में 58.2 प्रतिशत हो गया है। यह दिखाता है कि महिलाएं अब शिक्षा के उच्च स्तरों तक पहुंचने में अधिक सक्रिय हो रही हैं। इस रिपोर्ट से सामग्री उच्च शिक्षा में महिलाओं के संबंध में उदार दृष्टिकोण और समर्थन का संकेत मिलता है और यह एक सकारात्मक परिवर्तन का संकेत हो सकता है।

Subscribe Newsletter
Submit your email address to receive the latest updates on news & host of opportunities
Franchise india Insights
The Franchising World Magazine

For hassle-free instant subscription, just give your number and email id and our customer care agent will get in touch with you

or Click here to Subscribe Online

Newsletter Signup

Share your email address to get latest update from the industry