
नीति आयोग के शीर्ष अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि अब टैक्सपेयर्स का पैसा केवल बैटरी आधारित इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे शून्य टेलपाइप उत्सर्जन वाले क्लीन मोबिलिटी समाधानों को प्रोत्साहित करने में लगाया जाएगा। इसका मतलब है कि हाइब्रिड वाहनों को सरकारी सब्सिडी या प्रोत्साहन नहीं मिलेगा।
सरकार चीन पर लिथियम और अन्य महत्वपूर्ण ईवी कच्चे माल की निर्भरता कम करने के लिए भी वैकल्पिक तकनीकों और रणनीतियों पर काम कर रही है। नीति आयोग में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और ट्रांसपोर्ट के प्रोग्राम डायरेक्टर सुधेन्दु सिन्हा ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया, "आज देश के 23 में से 16 आईआईटी सस्टेनेबल मोबिलिटी, वैकल्पिक बैटरी रसायन, बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम और टेलीमैटिक्स व इलेक्ट्रॉनिक्स के पूरे क्षेत्र पर काम कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य सिर्फ ईवी का उपयोग करना नहीं, बल्कि भारत को ईवी मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है।"
सिन्हा ने कहा कि हाइब्रिड वाहन बाजार में उपलब्ध रहेंगे और सरकार उन्हें ‘दंडित’ नहीं करेगी, लेकिन जब टैक्सपेयर्स के पैसे से प्रोत्साहन देने की बात आती है, तो वह केवल ऐसे वाहनों को मिलेगा जो प्रदूषण नहीं करते।
उन्होंने कहा, "अगर भारत को ईवी निर्माण केंद्र बनना है, तो हमें नवाचार में सबसे आगे रहना होगा। साथ ही, हमें आपूर्ति श्रृंखला पर भी नियंत्रण रखना होगा। हमें पूरी मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया सीखनी होगी ताकि हम दूसरों पर निर्भर न रहें।"
सिन्हा ने नॉर्वे का उदाहरण दिया, जिसने 1995 में इलेक्ट्रिक वाहनों की दिशा में कदम बढ़ाया था। आज वहां अधिकांश नई कारें इलेक्ट्रिक होती हैं। भारत भी इसी दिशा में जीएसटी में कई बार कटौती कर चुका है, न केवल वाहनों पर बल्कि कई ईवी कंपोनेंट्स पर भी। सरकार लगातार नीतिगत सपोर्ट देकर ईवी को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है।