फोल्क्स मोटर ने लॉन्च किया ‘फोल्क्स फंड्स’, पहले चरण में जुटाए 100 करोड़ रुपये

फोल्क्स मोटर ने लॉन्च किया ‘फोल्क्स फंड्स’, पहले चरण में जुटाए 100 करोड़ रुपये

फोल्क्स मोटर ने लॉन्च किया ‘फोल्क्स फंड्स’, पहले चरण में जुटाए 100 करोड़ रुपये
फोल्क्स मोटर ने भारत की ईवी सप्लाई चेन को सशक्त बनाने के लिए 500 करोड़ रुपये के लक्ष्य वाले 'फोल्क्स फंड्स' की शुरुआत की है। पहले चरण में 100 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं, जिनसे हरियाणा में EV-विशेष औद्योगिक पार्क विकसित किया जाएगा।

भारत के xEV (रेट्रोफिट) उद्योग की अग्रणी कंपनी फोल्क्स मोटर ने अपने नए वैकल्पिक निवेश फंड "फोल्क्स फंड्स" के पहले चरण में 100 करोड़ रुपये जुटाए हैं। यह फंड कैटेगरी-II AIF के तहत लॉन्च किया गया है और इसका लक्ष्य 500 करोड़ रुपये का कॉर्पस बनाना है, जिसे कंपनी 2025 के अंत तक पूरा करने की योजना बना रही है। यह फंड खासतौर पर भारत की इलेक्ट्रिक वाहन (EV) सप्लाई चेन को मजबूत करने और स्थानीय निर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया है।

फंड का एक बड़ा हिस्सा "द ब्लू IP" नामक एक विशेष xEV औद्योगिक पार्क के विकास में लगाया जाएगा, जो सोनीपत, हरियाणा में स्थित होगा। यह भारत का पहला ऐसा औद्योगिक पार्क होगा जो पूरी तरह से ईवी ईकोसिस्टम के लिए समर्पित है, जहां मैन्युफैक्चरिंग और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके अलावा फंड का निवेश पावरट्रेन, एनर्जी स्टोरेज, EMS (इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज) और सिस्टम इंटीग्रेशन जैसे क्षेत्रों में किया जाएगा।

फोल्क्स मोटर(Folks Motor) के एमडी और सीईओ निखिल आनंद खुराना ने कहा कि इस फंड का उद्देश्य भारत को वैश्विक ईवी सप्लाई चेन में एक मजबूत भागीदार बनाना है। उन्होंने बताया कि "फोल्क्स फंड्स" न केवल इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करेगा बल्कि देश में टिकाऊ और भविष्य के लिए तैयार मैन्युफैक्चरिंग ईकोसिस्टम को भी विकसित करेगा। इसके अलावा फंड का एक प्रमुख ध्यान रेट्रोफिटमेंट टेक्नोलॉजी पर भी होगा, जिससे पुराने वाहनों की कार्यक्षमता बढ़ेगी और कमर्शियल उपयोगकर्ताओं के लिए लागत कम होगी।

तेजी से बढ़ते ईवी बाजार को देखते हुए फोल्क्स मोटर तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी निवेश विस्तार की योजना बना रही है। कंपनी का कहना है कि भारत में ईवी बिक्री 2024 में 2 मिलियन यूनिट को पार कर गई है, लेकिन मोटर और कंट्रोलर जैसे प्रमुख कंपोनेंट्स का स्थानीयकरण अभी केवल 30-40% तक सीमित है। ऐसे में यह फंड आत्मनिर्भर भारत और हरित गतिशीलता (ग्रीन मोबिलिटी) के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।

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