
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण व वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल ने भारत मंडपम् में उत्पाद-संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के लाभार्थियों के साथ बातचीत की। इस बातचीत की शुरुआत में मंत्री ने देश में बेहतर सुविधा और मैन्युफैक्चरिंग विकास के लिए विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों की रचनात्मक आलोचना का स्वागत किया।
गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार के सामने अपनी बाधाएं और सीमाएं हैं क्योंकि, उसे सीएजी लेखा परीक्षण का भी सामना करना पड़ता है। उन्होंने दस्तावेज संबंधित कार्रवाई की पारदर्शिता में अपना विश्वास व्यक्त किया, जहां न तो किसी मंत्री और न ही किसी सरकारी अधिकारी की ओर से अनियमितताओं की कोई संभावना नहीं है। केंद्रीय मंत्री ने आगे सरकार और लाभार्थियों के बीच सहयोग बनाए रखने पर जोर दिया। गोयल ने कहा कि एक-दूसरे की सहायता करने से देश को लाभ होगा और भारत को मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में महाशक्ति बनाने में मदद मिलेगी।
मंत्री ने स्पष्ट किया कि पीएलआई योजना लाभार्थियों को सरकारी सेवाओं पर निर्भर बनाने के लिए नहीं है, बल्कि इसका उपयोग मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने, आगे की लंबी यात्रा के लिए शुरुआती सहायता के रूप में किया जा सकता है। गोयल ने "आखिरकार प्रतिस्पर्धा बनी रहेगी" पर जोर देकर उनसे अनुरोध किया कि वे अपने कारोबार को बढ़ाने के मामले में और अधिक बाहर की ओर देखें, न कि केवल घरेलू बाजार की जरूरतों को पूरा करें। गोयल ने कहा कि वैश्विक स्तर पर प्रमुख देश बनने के लिए भारत में व्यवसायों को मान्यता मिलना महत्वपूर्ण है और इसके लिए उनके पास अपनी मात्रा का पैमाना है, जो उन्हें लागत प्रभावी बनाने में भी सहायता करेगा। गोयल ने अपनी बातचीत के दौरान कहा कि उनका मानना है कि इस बैठक में उपस्थित पीएलआई के हर एक लाभार्थियों में सफलता की कहानी बनने की क्षमता है।