
फ्रेंचाइज़ इंडिया के भारत स्टार्टअप समिट एंड एक्सपो में जोसफ एंड मैरी पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर डॉ. मनीन ठाकुर से बातचीत की और वह शिक्षा के क्षेत्र में 30 वर्षों से ज्यादा का अनुभव रखते हैं। इस इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि आज की शिक्षा सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अब तकनीक, विश्लेषणात्मक सोच और एंटरप्रेन्योरशिप को भी साथ लेकर चल रही है।
डॉ. ठाकुर ने यह भी साझा किया कि कैसे उनका स्कूल AI जैसे आधुनिक टूल्स को अपनाकर बच्चों को वास्तविक दुनिया की चुनौतियों के लिए तैयार कर रहा है, और कैसे वे अब अपने तीन दशकों के अनुभव को एक फ्रेंचाइज़ मॉडल के जरिए पूरे भारत में शिक्षा को नई दिशा देना चाहते हैं। आइए, जानते हैं डॉ. मनीन ठाकुर के विचारों और दृष्टिकोण को, जिन्होंने शिक्षा को सिर्फ कक्षा तक सीमित न रखकर उसे एक व्यावहारिक और भविष्य-केंद्रित यात्रा बना दिया है।
जोसफ एंड मैरी पब्लिक स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में लंबे समय से काम कर रहा है। आज के और पहले के स्कूलों में आप क्या बड़ा अंतर देखते हैं?
डॉ. मनीन ठाकुर: समय के साथ शिक्षा का स्वरूप बहुत बदल गया है। पहले शिक्षा का मतलब था किताब पढ़ो, याद करो, परीक्षा दो और पास हो जाओ। लेकिन आज यह विश्लेषणात्मक (Analytical) बन गया है। आज आपके पास AI है, गूगल है, मोबाइल है – सारी जानकारी आपके हाथ में है। अब शिक्षा का मकसद सिर्फ जानकारी भरना नहीं है, बल्कि बच्चों को ये सिखाना है कि उस जानकारी को प्रोसेस कैसे करें, सही और गलत में फर्क कैसे करें। हम बच्चों को सिखा रहे हैं कि इतना सारा डेटा है, लेकिन उसमें से अपने काम की चीज़ें निकालनी कैसे हैं। यहीं असली शिक्षा की भूमिका है।
तकनीक का शिक्षा से जुड़ाव अब कितना गहरा हो गया है? और AI जैसे टूल्स को आप कैसे देख रहे हैं?
डॉ. मनीन ठाकुर: बिल्कुल, AI एक बड़ी चुनौती भी है और एक बड़ा अवसर भी। पहले बच्चों से कहा जाता था कि मोबाइल और कंप्यूटर से दूर रहो। लेकिन अब हम उन्हें सिखाते हैं कि ChatGPT और AI का उपयोग कैसे करना है। हम उन्हें एनालिटिकल स्किल्स सिखाते हैं – कि जानकारी निकालो और उसका विश्लेषण खुद करो। टेक्नोलॉजी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अब इसे अपनाना ज़रूरी है।
आजकल स्कूलों में एंटरप्रेन्योरशिप को लेकर भी एक नई सोच आ रही है। क्या आप अपने स्कूल में इसे किसी विषय के तौर पर पढ़ा रहे हैं?
डॉ. मनीन ठाकुर: जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने 'विकसित भारत' का सपना 2030 तक देखा है, वो तभी संभव है जब बच्चे आउट ऑफ द बॉक्स सोचें। डॉक्टर, इंजीनियर, सीए जैसी परंपरागत करियर के अलावा हम बच्चों को एंटरप्रेन्योरशिप की ओर प्रेरित करते हैं।
हमने अपने स्कूल में इसे एक विषय की तरह शामिल किया है।
समर ब्रेक में हमने हर बच्चे को एक असाइनमेंट दिया – बाज़ार में जाकर काम सीखो, प्रैक्टिकल अनुभव लो। किस चीज़ की डिमांड है, कहां से सामान आ रहा है, कितना मार्जिन है – ये सब देखो और समझो। इससे बच्चों में बिज़नेस माइंडसेट आता है।
फ्रेंचाइज़ मॉडल के बारे में आप क्या कहना चाएगे ?
डॉ. मनीन ठाकुर: हमारा स्कूल 30 साल से चल रहा है। अब हम इस अनुभव को एक फ्रेंचाइज़ मॉडल के तौर पर अन्य लोगों तक पहुंचा रहे हैं। भारत में शिक्षा की बहुत बड़ी आवश्यकता है, खासकर छोटे शहरों और गांवों में। वहां अच्छी प्राइवेट शिक्षा नहीं मिल पाती।
हमने एक ऐसा बिज़नेस और एजुकेशन मॉडल तैयार किया है, जिससे कोई भी व्यक्ति अपने क्षेत्र में एक एजुकेशन हब बना सकता है। इससे देश का विकास भी होगा और शिक्षा की गुणवत्ता भी सुधरेगी।
आपने टेक्नोलॉजी, एजुकेशन और एंटरप्रेन्योरशिप के बेहतरीन समावेश की बात की। कोई अंतिम संदेश जो आप भारत के शिक्षकों, अभिभावकों या विद्यार्थियों को देना चाहें?
डॉ. मनीन ठाकुर: मैं यही कहना चाहूंगा कि आज का दौर सिर्फ किताबी ज्ञान का नहीं है। बच्चों को स्वतंत्र सोच, विश्लेषण, टेक्नोलॉजी की समझ और व्यवसायिक नजरिया देना बेहद जरूरी है। अगर हम उन्हें सही दिशा में गाइड करें तो वो न केवल नौकरी ढूंढेंगे बल्कि रोजगार देने वाले बन सकते हैं।
निष्कर्ष
आज की शिक्षा सिर्फ किताबों और अंकों तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह अब सोचने, समझने और कुछ नया करने की दिशा में अग्रसर है। डॉ. मनीन ठाकुर ने स्पष्ट रूप से बताया कि कैसे टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एंटरप्रेन्योरशिप जैसे विषयों को स्कूली शिक्षा में शामिल करके बच्चों को 21वीं सदी की ज़रूरतों के लिए तैयार किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी दर्शाया कि कैसे जोसफ एंड मैरी पब्लिक स्कूल (Joseph & Mary Public School) अब अपने 30 वर्षों के अनुभव को फ्रेंचाइज़ मॉडल के ज़रिए देश के कोने-कोने तक पहुंचाना चाहते है, ताकि हर बच्चे को गुणवत्ता युक्त शिक्षा और विकास का अवसर मिल सके। यह बातचीत सिर्फ शिक्षा में बदलाव की नहीं, बल्कि भारत के भविष्य निर्माण की एक झलक भी है। डॉ. ठाकुर जैसे शिक्षाविद देश के शिक्षा तंत्र को नई दिशा देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं — जहाँ शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ नौकरी पाना नहीं, बल्कि समाज और देश को आगे बढ़ाना है।