
भारत के G20 शेरपा और पूर्व नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के बीच बड़े टैक्स अंतर को बनाए रखना चाहिए, क्योंकि देश को शून्य-उत्सर्जन तकनीकों को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि हरित मोबिलिटी की दिशा में प्रोत्साहन बनाया रखा जा सके। कांत ने कहा कि सरकार विभिन्न नीतिगत उपायों के माध्यम से देश में मोबिलिटी को अपनाने के लिए निरंतर प्रयास करेगी। भारत इलेक्ट्रिक वाहनों पर 5% और हाइब्रिड पर 48% टैक्स "लंबे समय तक" जारी रखेगी, चलिए जानते है ईवी उद्योग की क्या प्रतिक्रिया है,इस विषय पर।
बीलाइव के सीईओ और को-फाउंडर समर्थ खोलकर ने कहा अमिताभ कांत का हाइब्रिड वाहनों पर 48% टैक्स और इलेक्ट्रिक वाहनों पर 5% टैक्स बनाए रखने का बयान इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में तेजी लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह टैक्स में अंतर उपभोक्ताओं को स्वच्छ विकल्पों की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2023 में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में 58% की वृद्धि देखी गई, जो मुख्यतः कम टैक्स जैसे नीतिगत प्रोत्साहनों के कारण हुई। यह अच्छी बात है, लेकिन चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और बैटरी में सुधार के लिए और मदद मिलने से इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ती रहेगी और लोग ज्यादा से ज्यादा अपनाएंगे। बीलाइव में हम ऐसी नीतियों का सपोर्ट करते हैं,जो इलेक्ट्रिक वाहनों को सस्ता और सबके लिए उपलब्ध बनाती हैं, क्योंकि ये भारत के पर्यावरण लक्ष्यों को हासिल करने और कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद करती हैं।
ओमेगा सेकी मोबिलिटी के फाउंडर और चेयरमैन उदय नारंग ने कहा ओमेगा सेकी मोबिलिटी में हम अमिताभ कांत के बयान की सरहाना करते हैं जिसमें उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर 5% टैक्स लंबे समय तक बना रह सकता है। यदि यह नीति लागू की जाती है, तो यह भारत के इलेक्ट्रिक वाहन इकोसिस्टम के विकास को तेजी से बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। ईवी टैक्स को इस न्यूनतम स्तर पर बनाए रखने से कुल स्वामित्व की लागत अधिक आकर्षक हो जाती है, विशेष रूप से व्यावसायिक क्षेत्र के उपभोक्ताओं के लिए, जिससे आंतरिक दहन इंजन(ICE) वाहनों से इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर एक सहज बदलाव को बढ़ावा मिलता है। यह दृष्टिकोण एक अप्रत्यक्ष प्रोत्साहन के रूप में कार्य करता है, जो व्यापक स्थिरता लक्ष्यों के साथ मेल खाता है। हम नितिन गडकरी जी की इस बात का भी सपोर्ट करते हैं,कि डीजल टैक्स बढ़ाए जाएं ताकि हरी ऊर्जा की ओर बदलाव को और प्रोत्साहन मिले।
भारत में विद्युतीकरण: ऑटोमेकर्स के विभिन्न दृष्टिकोण
अमिताभ कांत ने कहा हमारी नीति का ढांचा यह होगा कि हम भारत में मोबिलिटी के अधिक से अधिक विद्युतीकरण के लिए सभी उपलब्ध नीतिगत स्तरों के माध्यम से प्रयास करें, जिसमें CAFE (कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशियेंसी) मानक भी शामिल हैं। भारत के 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनने के लक्ष्य के साथ, देश में ऑटोमेकर्स सबसे अच्छी दिशा को लेकर विभाजित हैं। जापानी दिग्गज जैसे मारुति सुजुकी, टोयोटा, और होंडा हाइब्रिड वाहनों पर टैक्स में कटौती की मांग कर रहे हैं, यह तर्क करते हुए कि केवल इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर पूरी तरह से उत्सर्जन कम करने का बोझ नहीं डाला जा सकता। हालांकि, टाटा मोटर्स, हुंडई, किआ, और महिंद्रा & महिंद्रा जैसी कार कंपनियाँ जोर दे रही हैं कि केवल पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति प्रतिबद्धता ही वास्तव में भारत की सड़कों को डिकार्बोनाइज कर सकती है।
इमोबी (Emobi) के फाउंडर और सीईओ भरत राव(Bharath Rao) ने कहा इलेक्ट्रिक वाहनों पर 5% टैक्स और हाइब्रिड वाहनों पर 48% का टैक्स रखने का फैसला,यह दिखाता है कि सरकार हाइब्रिड के बजाय पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना चाहती है। यह इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए सकारात्मक है क्योंकि यह एक स्थिर नीतिगत माहौल प्रदान करते है, जिससे ईवी निर्माण, इन्फ्रास्ट्रक्चर और बैटरी उत्पादन में निवेश को बढ़ावा मिलता है।यूनियन बजट 2024 द्वारा हरित परिवहन(ग्रीन मोबिलिटी) को सपोर्ट देने, जिसमें ऊर्जा परिवर्तन के लिए 35,000 करोड़ रूपये आवंटित किए गए हैं। यह टैक्स नीति इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के मामले को और मजबूत करती है। एक इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता के रूप में, सरकार का यह समर्थन हमारी आत्म-विश्वास को मजबूत करता है कि हम नई-नई चीजें बनाने और अपने उत्पादों की रेंज को बढ़ाने के लिए लगातार काम करते रहें, यह जानते हुए कि स्वच्छ परिवहन की दिशा में सक्रिय रूप से प्रोत्साहन मिल रहा है।
बैटरी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के सपोर्ट से लागत कम होगी और स्थानीय घटकों(लोकल कंपोनेंट)तक पहुंच बेहतर होगी, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत उपभोक्ताओं के लिए सस्ती होगी। सामान्य तौर पर, लंबे समय तक एक जैसी नीति बनाना इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को बढ़ाने के लिए जरूरी है, और यह घोषणा भारत के 2070 तक कार्बन मुक्त होने के लक्ष्य के साथ मेल खाती है।
बैटएक्स एनर्जीज के सिनियर मैनेजर (हेड) एफ एंड ए सचिन कुमार ने कहा अमिताभ कांत का हाइब्रिड वाहनों पर 48% टैक्स और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर 5% टैक्स बनाए रखने का बयान इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के पक्ष में मजबूत सपोर्ट करता है। कुछ पॉइंट के जरिये बताते है।
उपभोक्ता प्रोत्साहन: टैक्स में बड़ा अंतर इलेक्ट्रिक वाहनों को वित्तीय दृष्टि से अधिक आकर्षक बनाता है, जिससे उनकी अपनाने की गति तेज हो सकती है और इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग की वृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है।
पर्यावरणीय लक्ष्य: यह नीति शून्य-उत्सर्जन वाहनों की ओर बदलाव को बढ़ावा देकर पर्यावरणीय उद्देश्यों का समर्थन करती है, जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम हो सकता है और भारत को वैश्विक ईवी बाजार में एक प्रमुख के रूप में स्थापित किया जा सकता है।
हाइब्रिड्स पर प्रभाव: हाइब्रिड वाहनों पर उच्च टैक्स उनकी बिक्री को कम कर सकती है, जिससे वे उन उपभोक्ताओं के लिए एक पारगमन तकनीक के रूप में सीमित हो सकते हैं जो अभी पूरी तरह से ईवी में स्विच करने के लिए तैयार नहीं हैं, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर सीमित है।
इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरतें: व्यापक ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश नीति का सपोर्ट करने और यह सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है कि उपभोक्ता आत्म-विश्वास के साथ ईवी में बदलाव कर सकें।
चरणबद्ध दृष्टिकोण: हाइब्रिड टैक्स को धीरे-धीरे बढ़ाना उपभोक्ताओं के लिए बदलाव को आसान बना सकता है और अचानक बाजार में आई बाधा को रोक सकता है।
उपभोक्ता शिक्षा: इलेक्ट्रिक वाहनों के लाभ, जैसे कि लंबे समय में लागत की बचत और पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना मांग को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
संतुलित बाजार: उन्नत हाइब्रिड तकनीकों के लिए प्रोत्साहन पूरी तरह से इलेक्ट्रिफिकेशन के दौरान एक संतुलित बाजार बनाए रखने में मदद कर सकती हैं।
हालांकि, हाइब्रिड वाहनों पर टैक्स बढ़ाने और इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैक्स को कम रखने के संभावित नकारात्मक पहलू निम्नलिखित हो सकते हैं:
बाजार में बाधा: हाइब्रिड वाहनों पर टैक्स में अचानक वृद्धि उनकी बिक्री को काफी हद तक कम कर सकती है, जिससे बाजार में बाधा आ सकती है और उपभोक्ताओं के पास पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन वाहनों(ICE) और इलेक्ट्रिक वाहनों के बीच कम विकल्प रह सकते हैं।
सीमित उपभोक्ता विकल्प: हाइब्रिड वाहनों की उच्च लागत उपभोक्ताओं को आंतरिक दहन इंजन(ICE) वाहनों और इलेक्ट्रिक वाहनों के बीच चुनने पर मजबूर कर सकती है, जिससे उन लोगों को हटा दिया जा सकता है जो पूर्ण ईवी बदलाव के लिए तैयार नहीं हैं, जैसे कि रेंज चिंता या इंफ्रास्ट्रक्चर की सीमाओं के कारण।
इनोवेशन में रुकावट: हाइब्रिड वाहनों की कम लोकप्रियता के कारण हाइब्रिड तकनीक में निवेश कम हो सकता है, जिससे इन वाहनों को और बेहतर और पर्यावरण के अनुकूल बनाने में धीमी प्रगति हो सकती है।
इंफ्रास्ट्रक्चर पर दबाव: इलेक्ट्रिक वाहनों की तेजी से बढ़ती मांग इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को पीछे छोड़ सकती है, जिससे चार्जिंग स्टेशनों की कमी जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं, खासकर गांवों या कम विकसित क्षेत्रों में।
आर्थिक प्रभाव: हाइब्रिड वाहनों की बिक्री में कमी के कारण हाइब्रिड निर्माता और संबंधित उद्योगों को आर्थिक नुकसान हो सकता है, जिससे नौकरी की हानि और हाइब्रिड वाहन निर्माण और बिक्री पर निर्भर क्षेत्रों में आर्थिक मंदी हो सकती है।
बदलाव की चुनौतियां: जो उपभोक्ता हाइब्रिड को ईवी की ओर एक कदम मानते हैं, उन्हें अचानक बदलाव के साथ कठिनाई हो सकती है, जिससे हरी तकनीकों को अपनाने में विरोध उत्पन्न हो सकता है।
ऑटोनेक्स्ट ऑटोमेशन के फाउंडर और सीईओ कौस्तुभ धोंडे ने कहा हम अमिताभ कांत के उस बयान का स्वागत करते हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि हाइब्रिड कारों पर 48% टैक्स और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर 5% टैक्स लंबे समय तक जारी रहेगा। यह नीतिगत निर्णय ईवी उद्योग पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा, जिससे इलेक्ट्रिक वाहन उपभोक्ताओं के लिए हाइब्रिड के मुकाबले एक अधिक वित्तीय रूप से व्यवहार्य विकल्प बन जाएंगे। ऑटोनेक्स्ट में हमारा मानना है कि हाइब्रिड वाहन लंबे समय में टिकाऊ समाधान नहीं हैं। ईवी, जो शून्य प्रदूषण करते हैं और चलाने में सस्ते होते हैं, टिकाऊ परिवहन का भविष्य हैं। यह टैक्स रणनीति ईवी अपनाने की गति को और तेज करेगी और ईवी और अन्य ईंधन वाहनों के बीच की शुरुआती लागत के अंतर को कम करने में मदद करेगी, जिससे हमारे उद्देश्य को सपोर्ट मिलेगा कि हम लोगों के लिए स्वच्छ और प्रभावी तकनीक प्रदान करें।
ईवी और हाइब्रिड कारों पर GST
हाइब्रिड कारों पर 28% GST दर लगती है, जबकि इलेक्ट्रिक कारों पर 5% टैक्स लगाया जाता है। हालांकि, विभिन्न अन्य सेस और टैक्स जोड़ने के कारण भारत में हाइब्रिड कारों पर प्रभावी टैक्स दर लगभग 48% हो जाता है। केंद्रीय सरकार जापान की कंपनियों के हाइब्रिड्स पर GST दर कम करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। कांत ने कहा कि भारत में सभी इलेक्ट्रिक वाहनों को नवीनीकरण ऊर्जा से चार्ज किया जाएगा। हम सभी राज्यों में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बहुत तेजी से फैला रहे हैं। भारत के 26 राज्यों ने ईवी नीति बनाई है, इसलिए हमने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 5% GST टैक्स और हाइब्रिड वाहनों के लिए 48% टैक्स का अंतर बनाया है और FAME (फास्टर अडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) योजना, PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना को लागू की है। कांत ने कहा हमारा उद्देश्य है कि हम बहुत ही कम कीमत पर अधिक से अधिक नवीनीकरण ऊर्जा उत्पन्न करें और यह लक्ष्य भारत की "जलवायु" के अनुसार ऐसा ऊर्जा उत्पादन करने के लिए अनुकूल होने के कारण प्राप्त किया जाएगा।
अमिताभ कांत के हाइब्रिड टैक्स पर 48% टैक्स और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर 5% टैक्स बनाए रखने के बयान पर ईबाइकगो के को-फाउंडर और सीओओ हरि किरण ने अलग-अलग टैक्स संरचना के प्रति अपना सपोर्ट व्यक्त किया। उन्होने कहा यह दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से भारत की हरित भविष्य की दृष्टि के साथ मेल खाता है, क्योंकि यह इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को प्रोत्साहित करता है, जो शहरी प्रदूषण और जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि र सोच-समझ कर बनाई गई योजना ज्यादा फायदेमंद हो सकती है। हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों पर कम टैक्स एक सही दिशा में कदम है, हाइब्रिड वाहनों के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन एक पारगमन समाधान के रूप में काम कर सकते हैं, जिससे पूरी तरह से इलेक्ट्रिक विकल्पों की ओर बदलाव को बढ़ावा मिल सके।एक संतुलित नीति विभिन्न क्षेत्रों में सतत परिवहन को अपनाने में तेजी ला सकती है।
हाइब्रिड वाहनों पर ज्यादा टैक्स लगने से क्या प्रभाव पढ़ेगा
1. हाइब्रिड वाहनों पर उच्च टैक्स से उनकी बिक्री घट सकती है, जिससे वे उपभोक्ताओं के लिए कम आकर्षक हो सकते हैं।
2. हाइब्रिड वाहनों की भूमिका कम होने से वे उपभोक्ताओं के लिए एक बदलाव तकनीक के रूप में काम नहीं कर सकेंगे, खासकर उन लोगों के लिए जो पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों में स्विच करने के लिए तैयार नहीं हैं।
3. हाइब्रिड वाहन निर्माता और संबंधित उद्योगों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि बिक्री में कमी और नौकरी की हानि।
4.हाइब्रिड वाहनों पर उच्च टैक्स के कारण हाइब्रिड तकनीक में इनोवेशन और सुधार में रुकावट आ सकती है।
5. इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग से चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर दबाव बढ़ सकता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, यह नीति भारत के पर्यावरणीय लक्ष्यों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इसे सही तरीके से लागू करने और सभी को संतुलित तरीके से लाभ पहुंचाने के लिए एक अच्छी योजना और सोच-समझ की जरूरत है।