
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि राज्य इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को लेकर प्रतिबद्ध है और इलेक्ट्रिक वाहनों तथा उससे संबंधित उपकरणों के मैन्युफैक्चरिंग में अग्रणी बनने की दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है।
मुख्यमंत्री पटेल ने अहमदाबाद के पास चांगोदर में मैटर एनर्जी के इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का उद्घाटन करते हुए कहा, "हरित विकास और ईवी ही कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने का रास्ता हैं। राज्य सरकार ने ई-मोबिलिटी को प्रोत्साहित करते हुए अब तक 800 इलेक्ट्रिक बसों को संचालन में लाया है और 2.64 लाख से अधिक ईवी का पंजीकरण हुआ है।"
उन्होंने बताया कि ईवी पॉलिसी-2021 और आत्मनिर्भर गुजरात योजना के तहत सरकार का उद्देश्य एक "ग्रीन, क्लीन और ईको-फ्रेंडली गुजरात" बनाना है। मुख्यमंत्री ने कहा, "गुजरात इलेक्ट्रिक वाहन पॉलिसी के माध्यम से हम न केवल परिवहन क्षेत्र में परिवर्तन ला रहे हैं, बल्कि राज्य को ईवी और उसके सहायक उपकरणों के उत्पादन का वैश्विक केंद्र भी बना रहे हैं।"
भूपेंद्र पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए 'इनोवेट इन इंडिया' कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए कहा कि यह पहल युवाओं को तकनीक के जरिए ईवी सेक्टर को मजबूत करने का अवसर देती है।
उन्होंने कहा कि "पिछले 10 वर्षों में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में 640 गुना वृद्धि हुई है और बीते वर्ष 70 लाख ईवी बेचे गए। देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री अब वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हो रही है।"
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति का उल्लेख करते हुए पटेल ने बताया कि "भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 10 साल पहले 2.8 गीगावाट थी, जो अब 102.5 गीगावाट तक पहुँच गई है।" उन्होंने कहा कि 'पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना' से 11 लाख से अधिक परिवारों को लाभ मिला है।
जनवरी 2025 तक भारत की कुल गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता 217.62 गीगावाट हो गई है और भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादक देश बनने की ओर बढ़ रहा है।
इस मौके पर मैटर के फाउंडर और ग्रुप सीईओ मोहन लालभाई ने कहा कि "चांगोदर स्थित यह नया मैन्युफैक्चरिंग हब कंपनी की तकनीक और नवाचार के जरिए भारत की मोबिलिटी को नए रूप में परिभाषित करने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।"
उन्होंने बताया कि इस प्लांट में फिलहाल एक शिफ्ट में प्रतिदिन 25 वाहन तैयार किए जा रहे हैं और मांग को देखते हुए वार्षिक उत्पादन क्षमता 1.20 लाख यूनिट तक बढ़ाई जाएगी।