
भारत में अब तक 40 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की बिक्री के साथ, ईवी अपनाने में तेजी लाने के लिए तेजी से चार्जिंग इकोसिस्टम को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सार्वजनिक और निजी निवेश के सहारे इस क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए इंडिया एनर्जी स्टोरेज अलायंस (IESA) द्वारा आयोजित इंडिया EV फास्ट चार्जिंग समिट में उद्योग जगत के प्रमुखों ने चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए ठोस वित्तपोषण और ढांचे की आवश्यकता पर जोर दिया।
एक्सिकॉम के सीएफओ शिराज खन्ना ने कहा “ग्रामीण क्षेत्रों में ईवी अपनाने को बढ़ावा देने के लिए ट्रांसफार्मर और ग्रिड इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुधारना आवश्यक है।”
वर्ष 2030 तक 30 प्रतिशत ईवी अपनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए, उद्योग जगत ने आयातित EV घटकों पर कस्टम ड्यूटी, GST और अन्य करों में कमी की मांग की। साथ ही, स्थानीय R&D और बैटरी टेक्नॉलोजी में निवेश करने पर भी जोर दिया, जिससे लागत कम होगी, स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
आईईएसए (IESA) के प्रेसिडेंट देवी प्रसाद दाश ने कहा कि यह एक बहुत ही खास और उभरता हुआ सेगमेंट है, जो देश में अभी ही गति पकड़ रहा है। दाश ने अपने अनुमान साझा करते हुए बताया कि वर्तमान में भारत में ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सेगमेंट 25-30 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रहा है। इस वृद्धि को दोगुना करने के लिए $20-30 बिलियन का निवेश आवश्यक होगा।
दाश ने कहा, "हम (उद्योग जगत) सभी इस स्कीम के लॉन्च होने का इंतजार कर रहे हैं। सरकार इस योजना को जारी करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों पर विचार कर रही है, जैसे राज्य-वार मांग(स्टेट वाइज डिमांड) आवंटन, विभिन्न राज्यों और शहरों में वाहनों की घनत्व(डेंसिटी) को ध्यान में रखना।"उन्होंने कहा कि यह योजना ईवी चार्जिंग स्पेस और देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में तेजी लाएगी।
समिट में PM ई-ड्राइव योजना पर विशेष चर्चा हुई, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक ईवी चार्जिंग स्टेशनों (EVPCS) को बढ़ावा देना है। 2,000 करोड़ रूपये के बजट के साथ यह योजना 22,100 फास्ट चार्जर (ई-फोर-व्हीलर के लिए), 1,800 (ई-बस के लिए), और 48,400 (ई-टू-व्हीलर और ई-थ्री-व्हीलर के लिए) लगाने की योजना बना रही है।
जीएलआईडीए (GLIDA) के एग्जीक्यूटीव डायरेक्टर अवधेश झा ने कहा, “2,000 करोड़ रूपये का आवंटन सार्वजनिक चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर विकसित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। विद्युत वितरण(पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन) नेटवर्क को सुधारने और चार्ज पॉइंट ऑपरेटर्स के लिए प्लग-एंड-प्ले इन्फ्रास्ट्रक्चर सक्षम करने के लिए फंड आवंटित करना अधिक लाभकारी हो सकता है।”
चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के साथ, उद्योग प्रमुखों ने वितरण कंपनियों (DISCOMs) की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया, जो विश्वसनीय बिजली सप्लाई सुनिश्चित करके ईवी क्षेत्र के विस्तार का सपोर्ट कर सकती हैं।