कारोबार में उतरना है तो इन शब्दों को अच्छी तरह जान लें

कारोबार में उतरना है तो इन शब्दों को अच्छी तरह जान लें

कारोबार में उतरना है तो इन शब्दों को अच्छी तरह जान लें
व्यवसाय जगत में कई ऐसे छोटे-छोटे शब्द होते हैं, जिनका जानना आपके लिए बेहद जरूरी होता है। अगर आप इन्हें नहीं जानते हैं, तो कई बार आप मुश्किल में पड़ सकते हैं। ऐसे में यह आलेख आपके लिए बहुत काम का है। इसमें हम आपको ऐसे कुछ शब्दों की जानकारी दे रहे हैं जो हैं छोटी-छोटी मगर मोटी बातें...

कोई भी व्यापार हो, इनके बिना नहीं चलता काम

व्यवसाय की बारीकियों को समझाते हैं ये शब्द

बिजनेस शुरू करने जा रहे हैं या फिर शुरुआत करने के बारे में सोच रहे हैं। ऐसे में आपको यहां बताए गए शब्दों से काफी मदद मिल सकती है। हम इस आलेख में आपको व्यवसाय जगत में रोजमर्रा की जिंदगी में प्रयोग किए जाने वाले छोटे-छोटे मगर बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले शब्दों की जानकारी दे रहे हैं। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं...

1.उद्यम पूंजी बाजार (वेंचर कैपिटल फर्म)

इससे आशय ऐसी कंपनियों से है, जो निवेशकों से धन जुटाती हैं और फिर उस फंड को स्टार्टअप में लगाकर रिटर्न कमाकर निवेशकों को देती है। पहले यह काम बैंक करते थे, जहां आप कारोबार के लिए लोन ले सकते थे। लेकिन पिछले दो दशकों के दौरान वेंचर कैपिटल फर्म यानी कंपनियों की संख्या काफी बढ़ी है, जो कारोबारियों को कारोबार के विभिन्न चरण में पूंजी उपलब्ध कराती हैं। वे इसके बदले वे उन कंपनियों में हिस्सेदारी हासिल करती हैं और बाद में कंपनी का मूल्य काफी बढ़ जाने की स्थिति में बेचकर मुनाफा कमाती हैं।
 
2. अनुमापकता (स्केलबिलिटी)

अनुमापकता यानी कि स्केलबिलिटी का अर्थ है भविष्य में किसी व्यवसाय के बड़े होने की संभावना क्या है। आजकल ज्यादातर प्राइवेट इक्विटी निवेशक इसी आधार पर स्टार्ट-अप कंपनियों को उधार देती हैं या पूंजी लगाती हैं कि वह कारोबार बड़ा हो सकता है या नहीं। यह संभव है कि शुरुआती दिनों में कोई कंपनी अपना प्रोडक्ट बेचने में सफल हो, लेकिन उसे बड़े पैमाने पर नहीं ले जाया जा सकता। कई बार इसके विपरीत भी होता है। यानी, शुरू में तो प्रोडक्ट अच्छा नहीं करता, लेकिन उसे बड़े पैमाने पर मार्केट किए जाने की गुंजाइश रहती है।
 
3. ग्राहक अधिग्रहण लागत (कस्टमर एक्वीजिशन कॉस्ट)

ग्राहकों को व्यवसाय से जोड़ने में स्टार्ट-अप को औसतन कितने रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं, इसे ही ग्राहक अधिग्रहण लागत कहते हैं। ग्राहक अधिग्रहण लागत, या सीएसी, मापती है कि कोई संगठन नए ग्राहक प्राप्त करने के लिए कितना खर्च करता है । सीएसी - एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक मीट्रिक - बिक्री और मार्केटिंग प्रयासों के साथ-साथ संपत्ति या उपकरण की कुल लागत है, जो किसी ग्राहक को उत्पाद या सेवा खरीदने के लिए मनाने के लिए आवश्यक है।

4.  वित्तीय अनुमान (फाइनेंशियल प्रॉजेक्शन्स)

यह स्टार्ट-अप का फ्यूचर फाइनेंशियल प्लान होता है कि वह कैसे खर्चे उठाएगा और कैसे मुनाफा कमाएगा। इसे इस तरह समझें कि यह वित्तीय विवरणों का एक सेट है। ये विवरण भविष्य के राजस्व और व्यय का पूर्वानुमान लगाएंगे। किसी भी प्रक्षेपण में आपका नकदी प्रवाह और परिव्यय, आपकी सामान्य आय और आपकी बैलेंस शीट शामिल होती है। वे बैंकर्स और निवेशकों को यह दिखाने के लिए बिल्कुल उपयुक्त हैं कि आप व्यावसायिक ऋण चुकाने की योजना कैसे बनाते हैं।

5. सीरीज ए राउंड फंडिंग

कई बार ऐसा होता है कि कोई स्टार्ट-अप अपनी गति तो पकड़ लेता है, लेकिन उसे बड़े पैमाने और ग्राहकों तक ले जाने और मुनाफा लायक बनाने के लिए पूंजी की जरूरत होती है। ऐसे में सीरीज ए राउंड की फंडिंग जुटाई जाती है। स्टार्ट-अप आम तौर पर सीरीज ए फंडिंग से जुटाई गई पूंजी का उपयोग विकास जारी रखने, उत्पाद विकास और स्टाफिंग जैसी चीजों के लिए फंडिंग के लिए करते हैं। अपने निवेश के बदले में, सीरीज ए निवेशकों को आमतौर पर वह प्राप्त होता है जिसे सीरीज ए राउंड फंडिंग स्टॉक के रूप में जाना जाता है।

6.  नकदी प्रवाह (कैशफ्लो)

आपके व्यवसाय में जो पैसा आता है और जो बाहर जाता है, उसको कैश फ्लो कहते हैं। अगर यह पॉजिटिव है तो अच्छी बात है, निगेटिव है तो इसमें सुधार की आवश्यकता होती है। इसे समझना बहुत आसान है। अगर आपके प्रोडक्ट या सर्विस की बिक्री से लगातार कमाई हो रही और कंपनी के खाते में पूंजी आ रही है, तो यह कंपनी की वित्तीय सेहत के लिए अच्छा रहता है।

7. एकल स्वामित्व (सोल प्रोपराइटरशिप)

यह एक ऐसा व्यवसाय होता है, जिसका सिर्फ एक ही मालिक होता है। यह वह व्यक्ति होता है, जो इसे शुरू करता है। एक सोल प्रोपराइटरशिप संचालन और रखरखाव के लिए सबसे सरल प्रकार की व्यावसायिक संरचना है। यह केवल उस व्यक्ति को संदर्भित करता है जो व्यवसाय का मालिक है और इस प्रकार अपने दायित्वों के लिए जवाबदेह है। सोल प्रोपराइटरशिप छोटे व्यवसायों के बीच लोकप्रिय है।

8. साझेदारी (पार्टनरशिप)

इसमें एक से अधिक लोग साझेदार बनकर व्यवसाय करते हैं। इसमें दो से 20 लोग एक साथ मिलकर व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। भारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932 की धारा चार के अनुसार साझेदारी उन व्यक्तियों का आपसी संबंध है, जो उन सबके द्वारा या उन सबकी ओर से किसी एक साझेदार द्वारा संचालित व्यवसाय का लाभ आपस में बांटने के लिए सहमत होते हैं।

ऐसे अन्य शब्दों की जानकारी अगले अंक में....

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