
साड़ी की परम्परा सदियो से चली आ रही है और साड़ी भारतीय महिलाओं का मुख्या परिधान है। जो आज विदेशों में भी बहुत पसंद किया जा रहा है और भारत आए विदेशी मेहमान भी साड़ी पहनकर भारतीय होने का एहसास महसूस करते है। पुराने जमाने से चली आ रही परम्परा आज तरह- तरह के रंगों और डिजायनों में उपलब्ध है।
आज के जमाने में साड़ी आपको हर तरह के रंग,डिजाइन और ब्रांड में मिल जाएगी। आगर आप ब्रांड की साड़ी पहनना पसंद करते है तो चलिए आपको बताते है की 78 साल पुराने कंकटाला ब्रांड के बारे में जिसने अपना पहला रिटेल आउटलेट नॉर्थ इंडिया में खोला है और इसका उद्घाटन अभिनेत्री करिश्मा कपूर द्वारा किया गया है।आपको बता दे यह साउंड इंडिया बेस्ड ब्रांड है जो तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के इन राज्यों में 12 एक्सक्ल्यूसिव आउटलेट के साथ सदियों से चला आ रहा है और अब इसने दिल्ली में अपना पहला कदम रखा है। कंकटाला विशाखापत्तनम, हैदराबाद, बैंगलोर, राजमुंदरी, विजयवाड़ा में मौजूद है और कई वर्षों से पुरानी बुनाई तकनीकों का प्रतिनिधित्व करता है।
कंकटाला के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन राव ने शुरुआत से लेकर अब तक की जर्नी के बारे में बताते हुए कहा कि हमारी यात्रा 1942 में विजाग की गलियों में शुरू हुई, जहां मेरे पिता श्री अप्पलाराजू कंकटाला ने साइकिल पर हैंडलूम साड़ियां को बेचा। विजाग की मामूली गलियों से लेकर भारत की राजधानी तक, 78 साल की यात्रा अद्भुत रही है और अब हमने दिल्ली में अपना पहला और 13वां एक्सक्लूसिव रिटेल आउटलेट लॉन्च करते हुए खुशी हो रही है। हम दिल्ली के लोगों से वही प्यार पाना चाहते है, जो हमें देश के अन्य हिस्सों से मिल रहा है।
इस स्टोर में बहुत तरह की साड़ीया उपलब्ध है जैसे की कांचीपुरम, बनारसी, पटोला, इकत, पैठानी, कोटा, उप्पदा, खादी, जामदानी, ऑर्गेंज़ा, कलमकारी, गडवाल, तुषार, और भी बहुत कुछ।फ्रैंचाइज इंडिया ने जब मल्लिकार्जुन से पूछा कि आपका साउथ इंडिया बेस्ड ब्रांड है और क्या आप दिल्ली के लोगों के लिए कोई नया कलेक्शन लाए है तो इस प्रशन पर उहोंने बताया कि नॉर्थ इंडिया के लोंगों के लिए ऑथेंटिक साउथ इंडियन साड़ी कांचीपुरम, उप्पदा, इकत, खादी जो दिल्ली में मिसिंग है और 6 महिने हमने लोकल स्टोर में जा कर सर्वे किया कि यहां पर क्या कुछ मिसिंग है।
साड़ी ट्रेंड्स
आज कल यंगस्टर्स में भी क्रेज है साड़ी को पहनने का और कांचीपुरम में आपको पेस्टल रंग नहीं देखने को मिलेगा सिर्फ ट्रेडिशनल डार्क कलर आप देख सकते है लेकिन अब पेस्टल कलर भी आगे आ रहे है।
साड़ियों की खासियत
इस ब्रांड के साड़ियों की रेंज 5000 से शुरू होकर 5 लाख तक है। उन्होंने बताया कि यह इतनी महंगी इसलिए है क्योकि इन साड़ियों को बनाने में ज्यादा समय लगता है, बनाने वालों की लागत सबसे ज्यादा है, अच्छी क्वालिटी की ज़री और सिल्क का उपयोग किया जाता है। यह 3 चीजे जो साड़ी को महंगी बनाती है।
टारगेट ऑडियंस
हम निश्चित रूप से नार्थ इंडियान को टारगेट कर रहे हैं लेकिन साउथ इंडियन को भी करेंगे क्योकि वह अपने ट्रेडिशन को बहुत ही ज्यादा महत्तव देते है और दिल्ली में इतनी शॉप्स नही है, तो हमें उन्हें भी पूरा करना है।
क्षेत्रफल
आउटलेट का क्षेत्रफल 3000 वर्ग फुट से 4000 वर्ग फुट है।
कोरोनाकाल में बिक्री पर प्रभाव
करोनाकाल में हमारी बिक्री पर भी प्रभाव पड़ा पिछले साल 2020 में हमारी बिक्री में 65 फीसदी की गिरावट हुई उसके अगले साल 2021 में 52 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली।
डिजिटाइजेशन
महामारी के बाद से सभी व्यवसाय डिजिटल का रूख कर रहे है एसे में कंकटाला के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन राव ने बताया कि साड़ियाँ को हमारे वेब से दुनिया भर के लोग खरीद रहे हैं और हम 19 देशों को निर्यात कर रहे हैं और भारत का हर राज्य हमसे खरीद रहा है।
ओमनी-चैनल अनुभव और मार्केटिंग रणनीति?
डिजिटल पर बात करते हुए कंकटाला के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिरुद्ध ने बताया कि ओमनी-चैनल का अनुभव कुछ बहुत महत्वपूर्ण है। दिल्ली और नए बाजार में आकर, हम अपनी डिजिटल रणनीति पर बहुत निर्भर करते हैं कि आकर्षण कहां से आ रहा है, ऑर्डर कहां से आ रहे हैं, ट्रैफिक कहां से आ रहा है।हैंडलूम साड़ी के 10 टुकड़े प्राप्त करना असंभव है क्योंकि प्रत्येक में 30 दिन लगते हैं और एक बार 30 दिन की साड़ी को 30 दिन में किया जाता है।तो यह हैंडलूम उद्योग की चुनौती है और यही वह जगह है जहां एक मल्टीनेशनल कंपनी पैसा लगाना और व्यवस्थित बनाना चाहती है। यह संभव नहीं है क्योंकि उद्योग बहुत अनऑर्गनाइज्ड है। छोटे छोटे स्टोरों, घरों और गांवों में भी इसकी तादाद ज्यादा है।
टेक्नोलॉजी को अपनाना
हम यह समझने में मदद करने के लिए एआरपी-सिस्टम का उपयोग कर रहे हैं कि किस बुनाई क्लस्टर की अधिक मांग है, कौन से रंग आगे बढ़ रहे हैं, तदनुसार हम तकनीक का उपयोग कर रहे हैं।हम यह समझने के लिए वेबसाइट के गुगल विश्लेषण और हीटमैप विश्लेषण का उपयोग कर रहे हैं कि लोग किस रंग में रुचि रखते हैं - कौन से रंग।
फ्रैंचाइज मॉडल
फ्रैंचाइज पर बात करते हुए मल्लिकार्जुन ने बताया कि हमारा कोई फ्रैंचाइज मोडल नही है और मुझे नही लगता कि मेरी जनरेशन में भविष्य में कोई फ्रैंचाइज हम करेंगे। अभी तक हम खुद ही अपने व्यवसाय को चला रहे है।फ्रैंचाइज की बात करे तो फ्रैंचाइज एक ऐसा काम है जिसमे आप किसी ब्रांड के प्रोडक्ट को अपनी दुकान में या शोरुम में बेचने का कम करते है ताकि आप उससे मुनाफा कमा सके। क्योंकि आप जिस कंपनी से फ्रैंचाइज़ लेने जा रहे है वही फ्रैंचाइज ओनर आपको सभी सुविधायें प्रदान करेगा बस आपको उसकी फ्रैंचाइज के साथ उसके सामान को बेचना है।
भविष्य की योजना
मल्लिकार्जुन राव ने बताया कि दिल्ली के बाद अब मुंबई, अहमदाबाद और कोलकाता जैसे अन्य शहरों में विस्तार करने की योजना बना रहे हैं। हम आने वाले भविष्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाने पर भी विचार कर रहे हैं। ये सभी स्टोर कंपनी के स्वामित्व वाले-कंपनी संचालित है। हम अपने चुने हुए उत्पादों की विशिष्टता और अपने मूल्यवान ग्राहकों को दिए गए व्यक्तिगत स्पर्श को खोना नहीं चाहते हैं।