
एलएनजे भीलवाड़ा ग्रुप की बैटरी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी रेप्लस ने अपनी मौजूदा उत्पादन सुविधा को 1 गीगावाट घंटा (GWh) से बढ़ाकर 6 GWh करने की योजना की घोषणा की है। यह विस्तार अगले वर्ष में पूरा किया जाएगा। कंपनी ने पुणे स्थित अपने मुख्यालय से यह जानकारी दी।
इस विस्तार के तहत ऑटोमेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा-ड्रिवन मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रियाओं को अपनाया जाएगा। नई सुविधा विभिन्न प्रकार की बैटरी सेल टेक्नोलॉजी के साथ काम करने के लिए एक टेक्नोलॉजी-अग्नॉस्टिक दृष्टिकोण अपनाएगी, जिसमें सोडियम-आयन, LMFP और LTO बैटरियां शामिल होंगी। विस्तारित प्लांट से उत्पादित बैटरियां इलेक्ट्रिक वाहनों और ग्रिड-स्तरीय नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में उपयोग की जाएंगी।
एलएनजे भीलवाड़ा(LNJ Bhilwara) ग्रुप के वाइस चेयरमैन रिजु झुंझुनवाला ने कहा, "एलएनजे भीलवाड़ा ग्रुप में, हम हमेशा अपनी विविध व्यावसायिक पहलों के माध्यम से क्लीन एनर्जी स्केल को आगे बढ़ाने में अग्रणी रहे हैं। रेप्लस प्लांट का 6 GWh तक विस्तार हमारी भारत की सस्टेनेबल डेवलपमेंट और एनर्जी ट्रांसफॉर्मेशन की प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण पहुंच है।"
रेप्लस(Replus)के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ हीरेन प्रवीन शाह ने कहा कि कंपनी ऑटोमेशन और अगली पीढ़ी की बैटरी टेक्नोलॉजी के एकीकरण के माध्यम से वैश्विक एनर्जी स्टोरेज क्षेत्र के भविष्य को आकार देने में प्रमुख भूमिका निभाने का लक्ष्य रखती है।
यह विस्तार भारत सरकार की "आत्मनिर्भर भारत" पहल के अनुरूप है, जो स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को मजबूत करने पर केंद्रित है।
रेप्लस की स्थापना 2019 में एक टेक्नोलॉजी-आधारित मैन्युफैक्चरिंग स्टार्टअप के रूप में हुई थी, जिसे भारत सरकार के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) द्वारा मान्यता प्राप्त है। कंपनी ने अब तक 70MWh बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) परियोजनाओं में अनुभव प्राप्त किया है और 600MWh के BESS प्रोजेक्ट्स और 300MWh के ईवी बैटरी पैक्स के लिए पक्के ऑर्डर पाइपलाइन में होने का दावा किया है।
एलएनजे भीलवाड़ा ग्रुप की स्थापना 1960 में राजस्थान में हुई थी और यह समूह वर्तमान में कपड़ा, ऊर्जा, ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड और इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी सहित विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत 17 कंपनियों के साथ एक बहुआयामी समूह बन चुका है। कंपनी का वार्षिक कारोबार 10,104 करोड़ रुपये (लगभग 1.21 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक है।
भारत में रिन्यूएबल एनर्जी लक्ष्यों और इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की बढ़ती ट्रेंड के बीच बैटरी स्टोरेज सॉल्यूशन की मांग में तेजी से वृद्धि हो रही है। उद्योग विश्लेषकों का मानना है कि देश की ऊर्जा परिवर्तन योजनाओं और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू बैटरी निर्माण क्षमता महत्वपूर्ण है।