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आधुनिक और प्राचीन शिक्षा तंत्र के मिलने से होता है छात्रों का संपूर्ण विकास

Sneha Santra
Sneha Santra Jan 16 2019 - 2 min read
आधुनिक और प्राचीन शिक्षा तंत्र के मिलने से होता है छात्रों का संपूर्ण विकास
ब्रिटिश राज से पहले, वैदिक शिक्षा तंत्र गुरुकुल में प्रचलित था। यह प्राचीन भारत में स्थानीय शिक्षा तंत्र के रूप में ज्यादा प्रचलित था।

वैदिक शिक्षा तंत्र विश्व में सभी शिक्षा तंत्रों के लिए प्रेरित होने का स्रोत था। हाल ही में, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पतंजलि योगपीठ के 'आचार्यकुलम' का उद्घाटन किया है। यह शिक्षा संस्थान आधुनिक और वैदिक शिक्षा के समन्वय करने का दावा करता है और शिक्षा के मैकालय सिस्टम (Macaulay’s system) को एक विकल्प देकर देश की आजादी का मार्ग प्रशस्त करता है।

थॉमस बैबिंगटन मैकालय एक ब्रिटिश इतिहासकार थे और भारत की शिक्षा में अंग्रेजी को माध्यम बनाने की पेशकश में इनकी अहम भूमिका रही है।

छात्रों का संपूर्ण विकास

पतंजलि के योगपीठ का उद्देश्य देश को वैकल्पिक शिक्षा तंत्र उपलब्ध कराना है जो छात्रों के संपूर्ण विकास का विश्वास दिलाता हो। वैदिक शिक्षा में किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व में आत्मबोध और आत्मसम्मान का विकास होता है। हमारे आधुनिक शिक्षा तंत्र में जिन तत्वों की कमी है वह हमारे प्राचीन तंत्र के प्रमुख पहलू हैं। इसका संबंध दाखिला संबंधी नीतियों, मॉनिटोरियल सिस्टम, कम शिक्षक-छात्र का अनुपात, स्वस्थ शिक्षण परिवेश, मुफ्त स्कूली शिक्षा और कॉलेज शिक्षा, सहानुभूति उपचार, अनुशासन में दंड की भूमिका, छात्र जीवन को नियंत्रित करने से संबंधित है।

शिक्षा तंत्र का भारतीयकरण

वैदिक शिक्षा भारत की संसकृति और विरासत का मूल आधार है। यह आधुनिक शिक्षा संगठनों को अनुशासित करने में मदद करेगा और शिक्षक व छात्र के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाएगा। उच्च स्तरीय आदर्श की उत्तम श्रेष्ठता अपने इंद्रियों पर, सत्य के आदर्श से सीधे, आजादी का विचार, समानता का आदर्श और शांति व एकता के आदर्श को प्राप्त करने में छात्र को सक्षम बनाता है। 'आचार्यकुलम' में वैदिक शिक्षा को अंग्रेजी और आधुनिक अवधारणा के साथ संयोजित करने का दावा करता है जिससे इसके छात्र इस प्रतिस्पर्धी परिवेश में जीवित रह सकें। यह वर्तमान में शिक्षा तंत्र के भारतीयकरण में भी अहम भूमिका निभाता है।

शिक्षा को रोजगार से जोड़ा गया है और इसी कारण छात्र अपनी नैतिक जड़े खो रहे है। आधुनिक शिक्षा का अंतिम उद्देश्य है दुनिया के लिए अपने छात्रों को तैयार करना। ऋग्वेद के अनुसार, शिक्षा मनुष्य को आत्म निर्भर और निःस्वार्थी बनाती है। इस तरह वैदिक शिक्षा और आधुनिक शिक्षा का एकीकरण न सिर्फ छात्रों के भविष्य को बेहतर बनाने में मदद करेगा बल्कि विभिन्न सामाजिक बदलावों को भी विकसित करेगा।

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