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2016-2020 का भारतीय ऑनलाइन शिक्षा बाजार

Akshay Arora
Akshay Arora Sep 12 2018 - 6 min read
2016-2020 का भारतीय ऑनलाइन शिक्षा बाजार
ऑनलाइन शिक्षा सभी छात्रों के लिए एक बड़ी मदद और शिक्षा उद्योग के लिए एक आविष्कार है। ऑनलाइन शिक्षा ने शिक्षा उद्योग के धरातल का विस्तार किया है और निवेशकों के लिए एक बेहतर मंच मुहैया करवाया है।

आज के ज़माने में शिक्षा के मायने शिक्षक ने छात्रों से बोलना, यहीं तक सीमित नहीं हैं। ऑनलाइन शिक्षा ने सीखने का एक नया तरीका ईजाद किया है, जो छात्रों की मानसिकता को, स्कूली शिक्षा से कहीं आगे बढ़ कर, विकसित करता है। इंटरनेट पर मौजूद 370 दशलक्ष से अधिक उपभोक्ता ऑनलाइन शिक्षा को तेज गति से विकसित करने में मदद कर रहे हैं। भारत के ई-लर्निंग बाजार का वर्तमान मूल्य 3 बिलियन से अधिक आँका जा रहा है। 

ऑनलाइन शिक्षा, शिक्षा के हर क्षेत्र में विविध प्रकार की जानकारी प्रदान करता है। बैजू, वेदांत, एजुकार्ट और कई सारे स्टार्टअप भारतीय ऑनलाइन शिक्षा बाजार में तेजी से उभरते हुए आगे आ रहे हैं। 

ऑनलाइन लर्निंग ने ज्यादातर लोगों को उनकी पसंद की विभिन्न भाषाओँ में शिक्षा प्रदान कर मदद की है। बड़े पैमाने में आए हुए खुले ऑनलाइन पाठ्यक्रम असीमित सहभागिता का लक्ष्य रखते हैं और सभी को शिक्षा देने के लिए वेब के जरिए उपलब्ध हैं।

बाजार क्षमता

पिछले 3 वर्षों में ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में कई नए आविष्कार और सफल स्टार्टअप्स की पहल देखी गई है। टेक्नाविओं के बाजार अनुसन्धान विश्लेषक पूर्वानुमान के अनुसार भारत में  ऑनलाइन शिक्षा बाजार 2020 तक लगभग 19% के सीएजीआर से बढ़ेगा। 

विश्व के सबसे बड़े ऑनलाइन शिक्षा प्रदाता कोर्सेरा के मुताबिक कुल 8 दशलक्ष पंजीकृत लर्नर्स में से 1. 3 मिलियन उपभोक्ता भारत से हैं। सुलभ, आजीविका-केंद्रित ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की वजह से पिछले 12 महीनों में 70 प्रतिशत यानी भारी मात्रा में रजिस्ट्रेशन्स बढ़े हैं। सर्वेक्षण के अनुसार ऑनलाइन लर्निंग में यूएस और चीन के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। 

सरकार की भूमिका

सरकार की नई नीतियों के कारण शिक्षा उद्योग में भारतीय ऑनलाइन शिक्षा बाजार की छवि निखरने में मदद हुई है। भारत में डिजिटल साक्षरता के प्रसार के लिए और ऑनलाइन शिक्षा  की आधारभूत संरचना विकसित करने के लिए सरकार नई नीतियां बना रही है। सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण और प्रौद्योगिकी रूप से सहायता-युक्त शिक्षा उपलब्ध कराने की दूरदृष्टि से की गई पहल 'डिजिटल इंडिया' भारत में ऑनलाइन शिक्षा के विकास में बहुत बड़ा आधार दे रही है।  ये पहलकदमी भारत में ऑनलाइन शिक्षा की बढ़त के लिए देशभर में किफायती दामों पर इंटरनेट की उच्च सेवा प्रदान करने का लक्ष्य रखती है। इसके अलावा, सरकार बेहतर भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए शिक्षा क्षेत्र में उपयुक्त ऐसी नई प्रौद्योगिकी में अपने क्षितिजों का विस्तार करने के लिए रिलायंस और क्वालकॉम जैसी बड़ी कंपनियों को राजी कर रही है। 

नया निवेश

चैन ज़ुकेरबर्ग ने भारत में ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षा प्रौद्योगिकी स्टार्टअप, बैजू में 50 मिलियन यूएस $ निवेश किए।

बैर्टेल्समान इंडिया ने एरुडिटस में 8.2 मिलियन यूएस $ निवेश किए।

एजुप्रिस्टिन इस ब्रांड के तले ऑनलाइन और कक्षा-आधारित प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम प्रदान करने वाली नीव नॉलेज मैनेजमेंट प्रा. लि. ने काइज़ेन मैनेजमेंट एडवाइजर्स और डेव्राय इंकॉर्पोरेटेड से 10 मिलियन यूएस $ खड़े किए। 

टाटा ट्रस्ट्स और टाटा ग्रुप ने वेब आधारित मुफ्त लर्निंग पोर्टल खान एकडेमी से भागीदारी  करते हुए प्रौद्योगिकी का माध्यम के रूप में उपयोग करते हुए, भारत में कहीं भी, हर किसी को, विनामूल्य शिक्षा प्रदान करने का संकल्प लिया है। 

विशेषज्ञों की राय

नेक्स्ट एजुकेशन इंडिया प्रा. लि. के सीईओ और सह-संस्थापक, बियास देव रल्हन कहते हैं, "ग्लोबल मार्केट इनसाइट्स की रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक ई-लर्निंग बाजार का 2015 में मूल्यांकन 165 मिलियन यूएसडी किया गया था और उसके 2016 से 2023 तक 5 % से अधिक के विकास दर से यूएसडी 240 मिलियन से भी अधिक होना अनुमानित है। आंकड़े इस क्षेत्र में हो रहा विकास स्पष्ट रूप से उजागर करते हैं और ये सिलसिला यूं ही जारी रहेगा ऐसा अनुमान है। दिलचस्प बात ये है कि रिपोर्ट ऐसा भी पूर्वकथन करती है कि एशिया पैसिफ़िक क्षेत्र, विशेषतः भारत, इसी काल में सबसे अधिक विकास करने की पूर्ण सम्भावना है। 

विश्व के अन्य भागों की तरह भारत में भी प्रौद्योगिकी ने अपनी पैठ जमा ली है और आज सब कुछ एक बटन दबाने पर हाजिर हो जाता है। हर किसी के पास लैपटॉप्स और टेबलेट्स होने के कारण,  ऑनलाइन लर्निंग बहुत बड़े स्तर पर फैल रहा है। किफायती होने के साथ ही, ऑनलाइन कोर्सेज कहीं-भी और कभी-भी चुने जा सकते हैं और 21 वीं सदी के डेनीज़ेन्स के व्यस्त दिनक्रम के हिसाब से बहुत ही अनुकूल हैं। ऑनलाइन क्लासरूम्स के कारण निजीकृत शिक्षा में भी बड़ा लाभ मिलता है। परंपरागत कक्षाएं छात्र की व्यक्तिगत शिक्षा जरूरतों पर ध्यान देने में असफल होती हैं, लेकिन ऑनलाइन लर्निंग में परिष्कृत प्रणाली और सम्बंधित विषय के विशेषज्ञों द्वारा दिए हुए ऑनलाइन पाठ के संयोग से शिक्षा-प्रक्रिया को अधिक प्रभावी किया जा सकता है। विविध प्रकार के विषयों पर उपलब्ध ढेर सारे मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेज के कारण शिक्षा सही अर्थों में लोकतान्त्रिक हो गई है, लेकिन इस शिक्षा पद्धति का दूसरा पहलू ये है कि छात्र बीच राह में ही कोर्स छोड़ देते हैं। कई ऑनलाइन कार्यक्रमों में इंटरैक्टिविटी का अभाव होता है, ये इसका एक कारण हो सकता है। परंपरागत कक्षा में छात्र अपना संदेह दूर करने के लिए शिक्षक से कभी भी सवाल पूछ सकते हैं, लेकिन कोर्सेज के मामले में ऐसा नहीं हो पाता है। हालांकि, ये बात सभी ऑनलाइन कोर्सेज पर लागू नहीं होती है। मुझे लगता है, इसीलिए सिंक्रोनस लर्निंग, जहां छात्र और शिक्षक एक ही समय पर ऑनलाइन आते हैं और उनमें वास्तविक समय आदान-प्रदान होता है, असिंक्रोनोस लर्निंग, जहां ऐसा नहीं हो पता है, से अधिक लोकप्रिय है।"

तुला'ज इंटरनेशनल स्कूल के प्रबंध संचालक, रौनक जैन के अनुसार, "ऑनलाइन एजुकेशन का आलेख अभी ऊंचा होता जा रहा है और कई संस्थान विभिन्न प्रकार के कोर्सेज द्वारा ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। इसिलिए लोगों का रूझान लगातार ऑनलाइन शिक्षा की ओर बढ़ता जा रहा है। ऑनलाइन शिक्षा अधिक किफायतमंद है और छात्र काम करते हुए भी ऑनलाइन कोर्सेज पूरा कर सकते हैं। प्रमाणित संस्थाएं और शासन द्वारा नियंत्रित संस्थाएं जैसे कि एआईसीटीई  फर्जी ऑनलाइन कोर्सेज कम करने में मदद कर रही हैं।”   

इंडोनेशिया, भूतान और नाइजेरिया जैसे देशों से कई छात्र, उनके देश में गुणवत्तपूर्ण शिक्षा का अभाव होने के कारण सीखने के लिए भारत आते हैं। महंगे यात्रा खर्च के कारण कई पालक संस्था में नहीं जा पाते हैं, जिससे उन्हें पूरी संतुष्टि नहीं मिल पाती है, लेकिन अब उनके लिए सबसे अच्छी बात ये है कि सब कुछ ऑनलाईन उपलब्ध होने के कारण वे संस्था के बारे में सम्पूर्ण रूप से आश्वस्त रह सकते हैं। ऑनलाईन शिक्षा पिछ्ड़े और ग्रामीण इलाके के उन परिवारों के लिए भी अच्छा है, जो नियमित कोर्सेज की महंगी फीस देने में असमर्थ हैं।

आई नर्चर एजुकेशन सोल्युशन्स प्रा.लि. की नैशनल हेड, श्रद्धा कंवर के अनुसार,”ऑनलाईन शिक्षा में वर्तमान शिक्षा परितंत्र में परिवर्तन लाने की असीम क्षमताएं हैं। सिंक्रोनस और असिंक्रोनस लर्निंग के विभिन्न रूपांतरों से संज्ञानात्मक, भावात्मक और मनोपेशीय प्रभावक्षेत्रों पर सकारात्मक असर होता है। नतीजा ये है कि छात्र शिक्षा में अधिक रस लेते हैं और उन पर उसका लंबे समय के लिए प्रभाव रहता है।”

निष्कर्ष

कुल मिला कर ऑनलाईन शिक्षा ने पैसे और नए आविष्कार, दोनों के नजरिए से भारतीय शिक्षा उद्योग को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ज्यादातर जनसंख्या इंटरनेट पर है और हर दिन उसके जरिए कुछ नया सीख रही है। ऑनलाईन शिक्षा छात्रों को घर बैठे और वह भी मुफ्त में, कौशल विकसित करने का माध्यम देती है। अन्वेषक और निवेशक ऑनलाईन शिक्षा में बेहतर अवसर ढूंढ़ते रहेंगे, क्योंकि ये एक तेजी से बढ़ता हुआ उद्योग है और भारत में उसमें और सुधार होने की गुंजाईश है।

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