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कक्षा में अनुकूलन किस तरह शिक्षक का कल्याण कर सकता है

Shahram Warsi
Shahram Warsi Oct 06 2018 - 3 min read
कक्षा में अनुकूलन किस तरह शिक्षक का कल्याण कर सकता है
शिक्षकों को नियमित तौर पर अनुकूलन की जरूरत होती है। ये उनकी काम की मांगों का संचालन करने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

हर महीने-दो महीने में शिक्षकों की बुरी हालत और नौकरी छोड़ने की दर के बारे में पता चलता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय शिक्षकों में से लगभग 15 प्रतिशत शिक्षक हर साल अपना पेशा छोड़ रहे हैं, जो शिक्षा उद्योग के लिए गहरी चिंता का विषय है।

इन मुद्दों के अलावा, कई विषयों में और किसी विशेष स्थान पर उत्तम शिक्षकों के प्रतिधारण से सबंधित कई समस्याएं भी हैं। हाल ही किए गए अध्ययन में मुद्दों का हल निकालने के लिए शिक्षकों के अनुकूलनीयता कारक की जांच की गई।

अनुकूलनीयता क्या है

सभी मनुष्य बदलाव, अनिश्चितता और नए अनुभव से गुजरते हैं, जो कि बहुत ही आम बात है। ऐसी परिस्थितियों की अनुकूल प्रतिक्रिया देने के लिए विचारों, कार्यों और भावनाओं को साथ लाना ही अनुकूलनीयता कहलाता है। इसमें विभिन्न विकल्पों पर विचार करके और भावनाओं पर नियंत्रण रखकर परिस्थिति के बारे में सोचने के तरीके को समंजित करना शामिल है।

शिक्षकों के लिए अनुकूलनीयता क्यों महत्वपूर्ण है ?

काम के दौरान शिक्षकों को रोज अलग-अलग शिक्षार्थियों का सामना करना पड़ता है, जिन्हें उनको उचित रूप से प्रतिक्रिया देनी होती है। कक्षा में उन्हें कभी-भी अप्रत्याशित परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है, जिसमें से उन्हें निकल कर आगे बढ़ना होता है।

एक शिक्षक को नियमित रूप से नए सहकर्मियों, छात्रों और पालकों से बातचीत करने के लिए अनुकूलनीयता जरूरी है। इन सारी परिस्थितियों का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए शिक्षक के लिए सामंजस्य स्थापित करना जरूरी होता है। इस प्रक्रिया में, पाठ को समंजित करना, छात्रों की बेहतर भागीदारी, व्याख्यान के अपेक्षानुसार न होने पर कुंठा को कम करना शामिल है। जांच परिणाम यह बताते हैं कि अनुकूलनीय शिक्षक अधिक खुश और स्वस्थ होते हैं।

शिक्षकों में अनुकूलनीयता का समर्थन कैसे करें ?

शिक्षण की निरंतर बदलती मांगों ने निश्चित ही अनुकूलनीयता को शिक्षक के लिए आवश्यक बना दिया है। निर्लिप्तता के भावनाओं से बचने में अनुकूलनीयता का योगदान होता है, जिसके परिणामस्वरूप काम के प्रति प्रतिबद्धता कम नहीं होती। तेज़ी से बदलते शिक्षा उद्योग में शिक्षकों के कल्याण में समर्थन देने में, उनके प्रतिधारण को बढ़ावा देने में अनुकूलनीयता एक मुख्य कारक माना जा सकता है।

प्राध्यापकों द्वारा किए गए कार्य जैसे निर्णय लेने में शिक्षकों से राय मांगना, नीति विकास और पाठ्यक्रम में विकल्प प्रदान करना निश्चित रूप से इस प्रक्रिया में मदद करते हैं। शिक्षकों के दृष्टिकोण को सुनना और उनकी क्षमताओं पर विश्वास दिखाना, निश्चित रूप से सशक्तिकरण और लगाव की भावना को जन्म देता है। इस तरह के नजरिए से काम में ज्यादा अनुकूलनीय होने में मदद करते हैं।

भविष्य में अवसर

बदलाव, अनिश्चितता, परिवर्तनशीलता, अवस्थान्तर और नवीनता, जीवन की सच्चाई है। दृढ़ता और व्यक्तित्व जैसे महत्वपूर्ण कारकों के प्रभाव से भी अधिक इस बात का उनके जीने के ढंग पर ज़्यादा असर होता है कि इस वास्तविकता के प्रति युवा कितनी प्रभावी प्रतिक्रिया देते है।

बढ़िया बात यह है कि अनुसंधान और अभ्यास से यह पता चलता है कि युवा अपने व्यवहार, विचार और भावनाओं को सफलतापूर्वक समंजित कर सकते हैं, लेकिन साथ ही कुछ अतिसंवेदनशील और असफल युवाओं को यह करने के लिए संभवतः ज़्यादा प्रचंड और निरंतर सहयोग की जरूरत होती है। युवाओं को सिखाया जा सकता है कि ज्यादा अनुकूलनीय कैसे बने और इस निरंतर बदलती दुनिया के अवसरों को किस तरह गले लगाएं। 

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