970*90
768
468
mobile

अमिताभ कांत ने बताया, 'कैसे हो सकता है भारतीय यूनिवर्सिटी का विकास'

Nibedita Mohanta
Nibedita Mohanta Dec 06 2018 - 3 min read
अमिताभ कांत ने बताया, 'कैसे हो सकता है भारतीय यूनिवर्सिटी का विकास'
अमिताथ कांत का कहना है, 'शिक्षा क्षेत्र में भारत के ब्रांडिंग युग की शुरुआत को ज्यादा समय नहीं हुआ है और अगले दशक में ब्रांड एजुकेशन इंडिया वास्तविकता में बदलने वाला है।'

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के अनुसार, अगर भारतीय यूनिवर्सिटी का विकास चाहते हैं और टाइम्स यूनिवर्सिटी रैंकिंग और क्यूएस रैंकिंग 2019 की लिस्ट में जगह पाना चाहते हैं, तो उन्हें सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा की फैकल्टी के रूप में आकर्षित करने के लिए कठिन प्रयास करने होंगे।

शैक्षिक संस्थानों को आधुनिक तकनीक और पाठ्यक्रम चुनने की स्वतंत्रता देनी होगी, विशेष क्षेत्रों में भारत की शक्ति को उजागर करना होगा, नए विचारों का समर्थन करना होगा, स्टार्टअप के लिए इक्यूबेशन को बढ़ावा देना होगा, उच्च स्तरीय रिसर्च के लिए इकोसिस्टम बनाना होगा और एक विश्वसनीय विश्व स्तरीय मान्यता के ढांचे से इसकी क्वालिटी पर दबाव डालना होगा।

ब्रांड एजुकेशन इंडिया

कांत का मानना है कि ब्रांड का अर्थ केवल विज्ञापन, मार्केटिंग और प्रमोशन ही नहीं है बल्कि इसका अर्थ एक बेहतरीन प्रोडक्ट को बनाना है जिससे टैलेंट्ड स्टूडेंट्स और फैकल्टी का ध्यान आकर्षित हो सके। वर्तमान में, विदेशी छात्र जितनी संख्या में भारत में पढ़ने आ रहे हैं उससे 10 गुना से भी ज्यादा भारतीय छात्र विदेशों से उच्च शिक्षा पाने जाते हैं।
उन्होंने बताया, सरकार ने पिछले दो सालों से इसकी बागडोर अपने हाथों में ली है ताकि एक ऐसा ईकोसिस्टम बनाया जा सके जिससे देश में उच्च-स्तरीय हाइर शिक्षा सिस्टम को बेहतर बनाया जा सके।

इसमें विश्व स्तरीय 'सेंटर्स ऑफ एमनंस' का निर्माण, प्रतिष्ठित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट के साथ सहकार्य करने की स्वतंत्रता, सह डिग्री प्रोग्राम को प्रोत्साहन, अच्छा प्रदर्शन करने वाले इंस्टीट्यूट को वर्गीय स्वतंत्रता, स्टार्ट-अप के बीच में नवीनता को प्रोत्साहित करने के लिए इन्क्यूबेशन केन्द्र का निर्माण करना, ऑनलाइन शिक्षा का प्रबंध और प्रमाणिक सिस्टम को मजबूती देना, बहु प्रमाणिक एजेंसियों को बनाना शामिल है, जिससे कॉम्पिटीशन बढ़े और सर्वश्रेष्ठता को प्राप्त किया जा सके।

कांत ने विश्वास जताया कि भारत में दुनिया का रिसर्च और शिक्षा केंद्र बनने की क्षमता है।

भविष्य की यूनिवर्सिटी

फिक्की स्क्लि्स डेवलपमेंट कमेटी और मनीपाल ग्लोबल एजुकेशन के चेयरमैन टीवी मोहनदास पाई ने कहा कि भविष्य की यूनिवर्सिटी का आधार तभी होगा जब समस्या का हल करने वाले कौशल छात्र होंगे।

पाई ने कहा कि भारत में उच्च शिक्षा सिस्टम को तीन श्रेणियों में बांटा गया है रिसर्च आधारित यूनिवर्सिटी, शिक्षण यूनिवर्सिटी और कौशल आधारित या फाउंडेशन यूनिवर्सिटी। हर कैटेगरी को पर्याप्त धन और लचीले नियमों से समर्थन प्राप्त होना चाहिए।

भविष्य की भारतीय यूनिवर्सिटी को एकेडमिक, आर्थिक और प्रशासनिक स्वतंत्रता की जरूरत। उन्होंने इस बात की ओर इशारा करते हुए बताया कि ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारें देश में, हम सभी यूजीसी निर्देशों द्वारा नियंत्रित होते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि आज का छात्र यूनिवर्सिटी में पढ़ने, अच्छी फैकल्टी पाने, सही अंक पाने, समाजिक बनने और प्रतिस्पर्धा करने के लिए जाता है।

पाई का कहना है कि आज हमारी शिक्षा की कीमत ऊपर जा रही है और यूनिवर्सिटी को रिसर्च की जरूरत है और शिक्षण नीचे की ओर जा रहा है। इसलिए उन्होंने दुनिया की सभी अच्छी यूनिवर्सिटीज़ को ऑफलाइन और ऑनलाइन शिक्षा देने पर दबाव डाला। उच्च शिक्षा से सही परिणाम प्राप्त करने के लिए ये जरूरी है कि यूनिवर्सिटी द्वारा कोर्स देने में लचीलेपन को और बढ़ाया जाए।

(इनपुट-फिक्की)

Subscribe Newsletter
Submit your email address to receive the latest updates on news & host of opportunities
Entrepreneur Magazine

For hassle free instant subscription, just give your number and email id and our customer care agent will get in touch with you

or Click here to Subscribe Online

You May Also like

Newsletter Signup

Share your email address to get latest update from the industry