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कौशल प्रदर्शन में उभरती हुई तकनीक का प्रभाव

Abhishek Pandit
Abhishek Pandit Jun 20 2019 - 6 min read
कौशल प्रदर्शन में उभरती हुई तकनीक का प्रभाव
एक क्षेत्र जो सम्मान के साथ अलग से खड़ा दिखाई देता है तकनीकी इनोवेशन में परीक्षण सफलता के साथ, वह है कौशल विकास और जनशक्ति का प्रशिक्षण।

हम अद्भुत बदलावों की दुनिया में रह रहें हैं - एक ऐसा युग जिसने पथ प्रर्वतक इनोवेशन है और उपभोक्ता की आसमान छूनेवाली अपेक्षाएं हैं। इसने सर्विस डिलीवरी मकैनिज़्म जो तकनीक पर निर्भर थी को पुनःआकार दिया है और सर्विस प्रदाता पर जोर दिया है कि वे अपने पुराने मॉडल को फिर से तैयार करें। हालांकि बहुत अधिक आवश्यकता के बावजूद भारत में तकनीकी इनोवेशन ज्यादातर अक्षम और खंडित है। इन इनोवेशन के विकास और उपयोग की संभावना और भी ज्यादा भ्रामक है। इन सभी में एक ऐसा क्षेत्र है जो तकनीकी इनोवेशन की परीक्षण सफलता के लिए सम्मान पाता है वह है कौशलता विकास और जनशक्ति का प्रशिक्षण। बहुत से देशों ने अपने पूरे ट्रेनिंग सुविधा को बदल दिया है व्यक्ति दर व्यक्ति के मकैनिज़्म से लेकर उच्च उत्पादकता कीमत प्रभावी सिस्टम तक। जहां पर तकनीक जैसे आर्टिफिशियल इंटैलिजेंसी, वर्चुअल रिएलिटी (वीआर), और ऑग्मेन्टिड रिएलिटी (एआर) के साथ-साथ ऑनलाइन लर्निंग ने कौशलता और लर्निंग की प्रक्रिया को तेजी दी है।

भारत में बहुत से अकांक्षापूर्ण प्रकारों के समूह हैं जिन्हें कौशलता की आवश्यकता हैं - स्कूली छात्र, यूनिवर्सिटी छात्र, स्कूल और यूनिवर्सिटी के ड्रॉप आउट, ग्रेजुएट, प्रोफेशनल आदि। इन सभी कौशलता के इच्छुक समूहों के लिए केवल एक ही समाधान संभव नहीं है। मगर कुछ समाधान है जिनमें क्षमता है और उन्हें इन समूहों की आवश्यकताओं के अनुसार सुधारा या इनमें बदलाव किया जा सकता है।

आर्टिफिशियल इंटैलिजेंसी (एआई)

एआई एक उभरती हुई तकनीक है जिसमें सबसे अधिक क्षमता है जब बात आती है शिक्षा और कौशलता की। वास्तव में यह कौशलता प्रशिक्षण प्रोग्राम की बहुत सी चीजों को स्वचालित करेगा। यह उन पैटर्न का अवलोकन करता है जिससे छात्र सीख रहा है और इन अवलोकनों को वह हटा देता है यदि वे निश्चित अवधारणा को समझ जाता है। क्लास रूम में शारीरिक रूप से उपस्थित शिक्षक किसी निश्चित अध्यापन शास्त्र से पढ़ाता है और एक निश्चित गति से। एआई लर्निंग और लर्निंग की गति को कस्टमाइज़्ड और व्यक्तिगत करना सुनिश्चित करता है।

यह दोनों कौशलताओं के लिए लाभकारी है - सॉफ्ट कौशलता और हार्ड/तकनीकी कौशलता। उदाहरण के तौर पर, एआई कस्टमाइज़्ड सॉफ्ट कौशलता प्रदान करता है जैसे उम्मीदवार की समझ, गति और कमजोरियों पर आधारित बैंकिंग कोर्स। वहीं दूसरी ओर हार्ड कौशलता के मामले में जैसे वैल्डिंग, एआई निरक्षणकर्ता को उम्मीदवार के हाथों की गतिविधियों को वेल्डिंग करते हुए देखने और उनका अवलोकन करने की क्षमता देता है। यह निरीक्षणकर्ता एआई को उम्मीदवार की प्रैक्टिस के बारें में जानकारी देता है। साथ ही साथ उसके भविष्य में सुधार के दायरों की जानकारी भी देता है।

इसके अलावा, एआई उनके कोर्स के पाठ्यक्रम के परे भी उम्मीदवार को कौशलता में आगे बढ़ने की स्वतंत्रता देता है। इस तरीके से 20 छात्रों की क्लासरूम में भी व्यक्तिगत तौर पर आगे बढ़कर कोई छात्र किसी निर्धारित कौशलता में विशेषज्ञता प्राप्त कर सकता है जोकि असल में समूह-शिक्षण वातावरण में कर पाना संभव नहीं है। इसके अलावा एआई के साथ ट्रेनीज़ के अस्सेमेंट का कोर्स के प्रशिक्षण के साथ-साथ उनका अवलोकन किया जाता है वह भी फाइनल टेस्ट पर पूरी तरह से निर्भर हुए बिना।

ऑगमेंटिड रिएलिटी (एआर) और वर्चुअल रिएलिटी (वीआर)

एआर और वीआर कौशलता प्रदान करने में बहुत ही सफल प्लेटफार्म रहें हैं। जिनके लिए पैसे और साधनों की आवश्यकता अधिक मात्रा में होती है। उदाहरण के तौर पर अगर कोई व्यक्ति बहुत से लोगों को हैवी मशीनरी में प्रशिक्षण देना चाहता है तो उसे बहुत ही ज्यादा किराया देना होगा। वीआर की मदद से लोग ऐसी कौशलता को और इनके लिए प्रशिक्षण सुविधाएं स्थापित कर सकता है वह भी किफायती दामों में। एक बार उम्मीदवार वीआर प्लेटफार्म पर अपना आधारभूत/बुनियादी स्तर की कौशलता को प्राप्त कर लेता है तो वे उसे आगे के लिए असल मशीनरी के लिए बढ़ा सकता है। यह न सिर्फ प्रशिक्षण की कीमत को बहुत ही अधिक कम करता है बल्कि इससे जुड़े जोखिमों को भी कम करता है।

वर्तमान में अधिकतर पानी के अंदर के वैल्डर मैक्सिको से भारत में आते है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये लोग कृत्रिम रूप से बने प्रशिक्षण वातावरण में प्रशिक्षण प्राप्त कर आते है। यह वेल्डर भारतीय इंडस्ट्री के लिए बहुत अधिक कीमत में आते है। अगर हम स्थानीय लोगों को अंडरवाटर या पानी के अंदर वेल्ड का प्रशिक्षण देते हैं वह भी वीआर की मदद से तो हम अपने घर में बहुत से अंडरवॉटर वेल्डर को तैयार कर पाएंगे। संक्षिप्त में कहें तो वीआर और एआर के पास क्षमता है कि वे प्रशिक्षण सेंटर के भीतर पूरी तरह से काम के असल वातावरण की नकल कर सकता है और यह इंडस्ट्री और कर्मचारियों दोनों के लिए बहुत ही लाभकारी स्थिति हैं।

ऑनलाइन लर्निंग और इंटरनेट

मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सिस मुफ्त ऑनलाइन कोर्स उपलब्ध कराता हैं जिनमें कोई भी नामांकन कर सकता है। एक नई कौशलताओं को सीखने का एक किफायती और लचीला तरीका है वह भी किसी भी जगह से और किसी भी समय। आपको इसके लिए बस केवल इस प्लेटफार्म या मंच पर जाने की आवश्यकता है। यह एक विकास का मार्ग है जिसमें ऐसी ऑनलाइन कौशलताएं उपलब्ध हैं जिससे लाभ मिलता है वह भी बिना किसी कीमत के। यह वास्तव में हमारी जनशक्ति की कौशलता को गति देने में मदद करेगा।

निष्कर्ष

उभरती हुई ये तकनीके हमारें वर्तमान के कौशल इंफ्रास्ट्रक्चर में बहुत प्रभावी गति से अपनी जगह बना रहीं है। यहां तक की भारत में भी ऐसी बहुत सी तकनीकें पहले से ही उनके पायलेट स्टेज पर आ चुकी है। वीआर का प्रयोग उम्मीदवारों को हैवी मशीनरी के प्रयोग का प्रशिक्षण देता है। अन्य उदारहण में विमान इंडस्ट्री में इच्छुक पायलटों को प्रशिक्षित करने में वीआर का प्रयोग शामिल है। इससे पहले पायलटों को हल्के एयरक्राफट पर प्रशिक्षण दिया जाता था और उसके बाद उन्हें भारी एयरप्लेनों में प्रशिक्षण दिया जाता था। उड्डयन इंडस्ट्री क्योंकि बहुत ही महत्वपूर्ण है इसलिए इन्होंने अपने कौशलता प्रक्रिया में एआर-वीआर को अपनाने वाली पहली इंडस्ट्री बनी। हालांकि इस तरह के प्रशिक्षण सैटअप को स्थापित करने के लिए लगने वाली लागत को देखते हुए वर्तमान में अन्य इंडस्ट्री इस विचार को अपनाने के लिए तैयार नहीं है। और यहीं वह जगह है जहां पर सरकार को अपनी भूमिका निभानी चाहिए और ऐसी व्यवस्थाओं का निमार्ण करना चाहिए जहां पर भविष्य के प्रशिक्षण तकनीक के आधार पर सॉफ्ट और हार्ड कौशलताओं के सबसे छोटे हिस्से को सीखने के लिए जगह प्राप्त हो। भारत स्किल इंडिया मिशन पर जोर दे रहा है, ऐसे में इन योजनाओं की महत्ता बढ़ जाएगी। अगर इस तरह के तकनीक की पूरी क्षमता का अहसास हो जाएं और इस पर आधारित लर्निंग इकोसिस्टम स्थापित होने के महत्व का अहसास हो जाएं तो हमारें पास उच्च गुणवत्ता और प्रशिक्षित जनशक्ति की कमी नहीं होगी और ये भारत की अर्थव्यवस्था को सही दिशा में आगे ले जाने में मदद करेगा।

इसलिए यह पूरी तरह से सुरक्ष्ति है कि इस तरह की उभरती तकनीक को स्थापित किया जाए और इसे भारत के कौशलता के इकोसिस्टम में लागू किया जाएं जिससे देश की जनशक्ति के साथ-साथ इससे जुड़ी इंडस्ट्रियों को भी बहुतायत में लाभ मिल सके। इसमें इतनी क्षमता है कि यह भारत को ह्यूमन रिसोर्स को प्रतिस्पर्धा देने वाला अंतर्राष्ट्रीय पावर हाउस बना देगा।

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