ऑनलाइन शिक्षा सभी छात्रों के लिए एक बड़ी मदद और शिक्षा उद्योग के लिए एक आविष्कार है। ऑनलाइन शिक्षा ने शिक्षा उद्योग के धरातल का विस्तार किया है और निवेशकों के लिए एक बेहतर मंच मुहैया करवाया है।
क्या आप एक एडुप्रेनअर हैं? क्या आप अपने शहर में प्री-स्कूल सुविधा शुरू करने की योजना बना रहे हैं? यह आलेख आपको शामिल चरणों के साथ परिचित करने का प्रयास है।
प्राथमिक स्तर पर लक्षित शिक्षार्थी तक पहुंच अभी-भी एक बड़ी चुनौती है, जबकि भारत, सरकारी या समर्थित स्कूलों के गठजोड़ के माध्यम से प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने वाला सबसे बड़ा देश है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2028 तक चीन के मुकाबले भारत सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बनने की संभावना है। इसलिए समय की आवश्यकता उत्पादक कार्यबल बनने के लिए जितना संभव हो उतना युवाओं का उपयोग करता है।
कुछ विद्यालय है, जो इतने उल्लेखनीय परिणाम दे रहे हैं कि उन राज्यों में निजी विद्यालयों की भूमिका गौण हो गई है और दूसरी तरफ ऐसे विद्यालय भी है जो केवल नाम के लिए खुले हैं।
शिक्षा क्षेत्र में व्यवसाय करने वालों के लिए यह अच्छी बात है कि उच्च गुणवत्ता के निजी स्कूलों के लिए मांग बढ़ती जा रही है, लेकिन यह भी समझ लेना जरूरी है कि भारत में स्कूल शुरु करने की प्रक्रिया ‘दो दूनी चार’ जितनी आसान नहीं है...
वित्त वर्ष 2017-18 में शिक्षा क्षेत्र के लिए बजट में रूपये 79,685.95 करोड़ (11.952 बिलियन अमरीकी डॉलर) तय किए गए हैं जो वर्ष 2016-17 के रूपये 72,934 करोड़ (10.859 बिलियन अमरीकी डॉलर) से 9.9 प्रतिशत ज्यादा है।
निजी स्कूलों की आसमान को छू लेने वाली फीस पालकों की जेब में सुराख बना रही है। इसके बावजूद पालक सरकार द्वारा संचालित स्कूलों के मुकाबले निजी स्कूल की शिक्षा पसंद करते हैं।
भारतीय शिक्षा प्रणाली ने धीरे-धीरे सीखने के अपने पांच चरणों में एक नया प्रवेशकर्ता स्वीकार कर लिया है। पिछले कुछ दशकों में भारतीय शिक्षा प्रणाली बहुत विकसित हुई है। वर्तमान में, 95 प्रतिशत से अधिक बच्चे प्राथमिक विद्यालय में जाते हैं। हालांकि, इनमें से केवल 40 प्रतिशत माध्यमिक विद्यालय (कक्षा 9-12) में भाग लेने में सक्षम हैं।